धनतेरस का दिन धन के लिए नहीं अपितु स्वास्थ्य के लिए लाभदायक, कारण जानिए!

दिपावली के दिन भगवान राम, राक्षस राज रावण का वध करके अयोध्या लोटे थे. हिन्दू धर्म में इस को बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन भी मानते है. दीपावली का यह त्यौहार पांच दिनों तक मनाया जाता है. जो धनतेरस से प्रारंभ होकर भाई दूज तक होता है. इस दिन सभी घरो में रोनक होती है. धनतेरस इस पर्व का पहला दिन होता है. आप सब जानते ही होंगे की धन की देवी लक्ष्मी जी है पर लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त हो इसके लिए जरुरी है की आपका स्वास्थ्य भी ठीक हो. इसी कारण दीपावली के दो दिन पूर्व के दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. स्वाथ्य के देवता धन्वन्तरि का जन्म कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है. इस दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरी की पूजा करनी चाहिए. और उनसे स्वास्थ्य और सेहत के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.

• सुख-समृद्धि और धन का त्योहार धनतेरस :-

यह दीपावली का पहला दिन होता है. यह सुख-समृद्धि का त्यौहार होता है. धन्वन्तरी स्वास्थ्य के देवता है. उनसे अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है. यह दिन चिकित्सको के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है.

• पुराणों के अनुसार धनतेरस की कहानी:-

बात उस वक्त की है जब तीनो लोको पर रजा बलि का राज्य हुआ करता था. उस समय असुर, दानव और दैत्य अधिक शक्तिशाली हो गये थे. स्वयं देवराज इंद्र भी उनसे भयभीत हो चुके थे. तो इस स्थिति के निवारण के उपाय लिए सभी देवता विष्णु भगवान के पास गये. उन्होंने दैत्यों से मित्रता कर क्षीर सागर से अमृत निकाल कर उसका पान करने का उपाय बताया. उन्होंने कहा की अमृत पीकर तुम दैत्यों को मारने में समर्थ हो जाओगे. इस प्रकार देवताओ ने दैत्यों की सहायता से समुद्र मंथन किया. समुद्र मंथन से चौदह प्रकार रत्न के रत्न निकले थे. जिसमे अमृत भी था जिसको लेकर स्वयं भगवान विष्णु धनवंतरी के रूप में समुद्र से प्रकट हुए. जिसके पान से देवता अमर हुए. इसलिए धन्वन्तरी की पूजा की जाती है जिससे देव लक्ष्मी प्रसन्न होती है.

• धनतेरस के दिन क्या शुभ है:-

धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ माना जाता है. अगर कोई चांदी खरीदने में असमर्थ है तो वह कोई बर्तन खरीदे. चन्द्रमा शीतलता और मन में सतोष का मानक है. चूंकि चांदी को चन्द्रमा का प्रतीक माना गया है. चांदी शीतलता प्रदान करती है मन को संतोष प्रदान करती है. संतोष ही परम धन है अर्थात जहा संतोष है वही धन का वास होता है. और जहा संतोष है वही सुख-समृद्धि और धन होता है.