अजीत डोभाल (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) की जीवनी | Ajit Doval Biography in Hindi

भारत के मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जीवनी (जन्म, परिवार, कहानी और पुरुस्कार) | Ajit Doval Biography, Family, Story and Awards in Hindi

अजीत कुमार डोभाल सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी, भारत के 5 वें और वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं. उन्होंने पहले एक ऑपरेशन विंग के प्रमुख के रूप में एक दशक बिताने के बाद, 2004-05 में इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के रूप में कार्य किया.

बिंदु (Point)जानकारी (Information)
पूरा नाम (Full Name)अजीत कुमार डोभाल
जन्म दिनांक(Birth Date)20 जनवरी 1945
जन्म स्थान (Birth Place)पौड़ी गढ़वाल
पिता का नाम (Father)गुननाद डोभाल
पत्नी (Wife)अनु डोभाल
पुत्र का नाम (Son Name)शौर्य डोभाल
धार्मिक दृश्य (Religion)हिंदू धर्म

अजीत डोभाल प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Ajit Doval Early Life & Education)

डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के गिरि बानसेल्युन गाँव में एक गढ़वाली परिवार के यहाँ हुआ था. इनके पिता का नाम गुननाद डोभाल था. डोभाल के पिता भारतीय सेना में एक अधिकारी थे. अजीत डोभाल की पत्नी का नाम अनु डोभाल हैं.

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर सैन्य स्कूल (पूर्व में किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल) अजमेर, राजस्थान में प्राप्त की. उन्होंने 1967 में आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की. उन्हें दिसंबर 2017 में आगरा विश्वविद्यालय और मई 2018 में कुमाऊं विश्वविद्यालय से विज्ञान, साहित्य, रणनीतिक और सुरक्षा मामलों के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए एक मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था.

पुलिस करियर के रूप में (Ajit Doval Police Career)

डोभाल केरल कैडर में 1968 में आईपीएस के रूप में शामिल हुए. वह मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद-विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल थे. डोभाल उन तीन वार्ताकारों में से एक थे जिन्होंने 1999 में कंधार में IC-814 से यात्रियों की रिहाई के लिए बातचीत की थी. विशिष्ट रूप से उन्हें भारतीय एयरलाइंस के सभी 15 अपहर्ताओं के विमान को 1999 से समाप्त करने में शामिल होने का अनुभव है. मुख्यालय में उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक आईबी के संचालन विंग का नेतृत्व किया और मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) के संस्थापक अध्यक्ष साथ ही इंटेलिजेंस पर संयुक्त टास्क फोर्स (JTFI) भी थे.

अजीत डोभाल खुफिया एजेंट के तौर पर (Ajit Doval as a Undercover Agent)

मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) विद्रोह के दौरान डोभाल ने लालडेंगा के सात कमांडरों में से छह पर जीत हासिल की. उन्होंने लंबे समय तक मिज़ो नेशनल आर्मी के साथ बर्मा के अराकान और चीनी क्षेत्र के अंदर समय बिताया. मिजोरम से डोभाल सिक्किम गए जहां उन्होंने भारत के साथ राज्य के विलय के दौरान भूमिका निभाई.

आतंकवाद निरोधी अभियानों में संक्षिप्त अवधि के लिए उन्हें भारत के तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन के तहत प्रशिक्षित किया गया था.

पंजाब में वे रोमानियाई राजनयिक लिविउ रादु के बचाव में थे. महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करने के लिए ऑपरेशन ब्लैक थंडर से पहले वे 1988 में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के अंदर थे.
Ajit Doval Biography in Hindi

सेवानिवृत्ति के बाद (2005-2014) (Ajit Doval After Retirement)

डोभाल जनवरी 2005 में निदेशक इंटेलिजेंस ब्यूरो के पद से सेवानिवृत्त हुए. दिसंबर 2009 में वह विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक बने. एक सार्वजनिक नीति थिंक टैंक विवेकानंद केंद्र द्वारा स्थापित की गई. डोभाल भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रवचन में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं. कई प्रमुख अखबारों और पत्रिकाओं के लिए संपादकीय अंश लिखने के अलावा उन्होंने कई प्रसिद्ध सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों, भारत और विदेशों में सुरक्षा थिंक-टैंक में भारत की सुरक्षा चुनौतियों और विदेश नीति के उद्देश्यों पर व्याख्यान दिया है.

2009 और 2011 में उन्होंने “इंडियन ब्लैक मनी अब्रॉड इन सीक्रेट बैंकों और टैक्स हैवन्स” पर दो रिपोर्टों को सह-लिखा. उन्होंने IISS, लंदन, कैपिटल हिल, वाशिंगटन डीसी, ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेलबर्न, नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली और लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी में रणनीतिक मुद्दों पर अतिथि व्याख्यान दिए हैं. डोभाल ने वैश्विक कार्यक्रमों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बात की है, जो दुनिया के प्रमुख स्थापित और उभरते हुए लोगों के बीच सहयोग की बढ़ती आवश्यकता का हवाला देते हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में (2014-वर्तमान) (Ajit Doval ad a National Security Adviser)

30 मई 2014 को, डोभाल को भारत के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था. जून 2014 में, डोभाल ने उन 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी हुई थीं. ISIS द्वारा मोसुल पर कब्जा करने के बाद परिवार के सदस्यों ने इन नर्सों से सभी संपर्क खो दिए. डोभाल ने 25 जून 2014 को जमीन पर स्थिति को समझने और इराकी सरकार में उच्च-स्तरीय संपर्क बनाने के लिए एक शीर्ष गुप्त मिशन पर उड़ान भरी.हालांकि उनकी रिहाई की सही स्थिति स्पष्ट नहीं है. 5 जुलाई 2014 को आईएसआईएस के आतंकवादियों ने नर्सों को एरबिल शहर में अधिकारियों को सौंप दिया और भारत सरकार द्वारा दो विशेष रूप से व्यवस्थित विमानों ने उन्हें कोच्चि में घर वापस लाया.

सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के साथ डोभाल ने म्यांमार से बाहर चल रहे आतंकवादियों के खिलाफ एक सैन्य अभियान की योजना बनाई और सफलता प्राप्त की थी.

उन्हें पाकिस्तान के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में सैद्धांतिक बदलाव के लिए व्यापक रूप से श्रेय दिया जाता है. ‘रक्षात्मक’ से ‘रक्षात्मक आक्रामक’ के साथ-साथ ‘डबल निचोड़ रणनीति’ पर स्विच करना. यह अनुमान लगाया जाता है कि सितंबर 2016 में पाकिस्तान में भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक उनकी ही दिमागी रचना थी.

राजनायिक चैनलों और वार्ताओं के माध्यम से डोकलाम गतिरोध को हल करने के लिए डोभाल को विदेश सचिव एस जयशंकर और चीन में भारतीय राजदूत विजय केशव गोखले के साथ व्यापक रूप से श्रेय दिया जाता है.

अक्टूबर 2018 में उन्हें रणनीतिक नीति समूह (SPG) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया जो राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में तीन स्तरीय संरचना का पहला स्तर है और इसके निर्णय लेने वाले तंत्र के नाभिक का निर्माण करता है.

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अजीत डोभाल के पुरस्कार (Ajit Doval Awards)

डोभाल मेधावी सेवा के लिए पुलिस पदक प्राप्त करने वाले सबसे युवा पुलिस अधिकारी थे. पुलिस में उन्हें छह साल के बाद यह पुरस्कार दिया गया. बाद में उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया. 1988 में डोभाल को सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों में से एक कीर्ति चक्र प्रदान किया गया, जो एक सैन्य सम्मान के रूप में पहले दिए गए पदक प्राप्त करने वाले पहले पुलिस अधिकारी बने.

Ajit Doval Biography in Hindi

अजीत डोभाल की एक रोचक कहानी (Interesting Story of Ajit Doval)

अजीत डोभाल पाकिस्तानी मीडिया में INDIAN JAMES BOND के नाम से मशहूर हैं. अजीत डोभाल ने भारत के एक अंडरकवर एजेंट के रूप में 7 साल के प्रवास के दौरान पाकिस्तान में हुई एक घटना में एक घटना साझा की हैं. उन्होंने बताया कि एक बार जब वह अंडरकवर थे और एक मस्जिद से बाहर आ रहे थे. तब उन्होंने कपड़े पहनने का अपना रूप और तरीका बदल दिया ताकि कोई उन पर शक न कर सके. लंबी सफेद दाढ़ी वाले एक कोने में थोड़ी दूरी पर बैठे एक व्यक्ति ने उनको बात करने के लिए बुलाया. जैसे ही वे उसके पास पहुँचे, उस आदमी ने कहा कि आप हिन्दू हैं. अजीत डोभाल ने मना कर दिया और कहा कि मैं एक मुसलमान हूँ. उस आदमी ने उसे 4-5 गलियों और फिर एक छोटे से कमरे में ले लिया. सफेद दाढ़ी वाले व्यक्ति ने एक बार फिर कहा कि आप हिन्दू एक हैं. अजीत डोभाल ने इनकार कर दिया और पूछा कि आप इसे बार-बार क्यों पूछ रहे हैं?

उस शख्स ने जवाब दिया कि उसके (अजीत डोभाल) के कान में एक छेद है, जो एक हिन्दू धर्म का संस्कार हैं. तब अजीत ने कहा कि मैं हिन्दू पैदा हुआ था, लेकिन मैं मुस्लीम बन गया था. उस आदमी ने उसे प्लास्टिक सर्जरी द्वारा उस छेदने को भरने की सलाह दी. अजीत ने पूछा कि वह उसके बारे में इतना चिंतित क्यों है? उसने जवाब दिया कि वह भी हिन्दू है. अजीत के सिद्धांत को प्रमाण देने के लिए उन्होंने अपनी अलमारी खोली और उन्हें शिवाजी और दुर्गाजी की छोटी मूर्तियाँ दिखाई.

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