ज्ञान प्रकाश घोष का जीवन परिचय | Jnan Prakash Ghosh Biography in Hindi

ज्ञान प्रकाश घोष की जीवनी, रचनाएँ और पुरुस्कार | Jnan Prakash Ghosh Biography(Jivani, Birth and Career), Art and Awards

ज्ञान प्रकाश घोष का जन्म 8 मई 1909 को कलकत्ता में हुआ था. ज्ञान प्रकाश घोष तबला और हारमोनियम बजाने में सक्षम थे. भारत के कई क्लासिकल गीतकारों में इनका नाम लिया जाता है.

प्रारंभिक जीवन (Jnan Prakash Ghosh Intial Life)

ज्ञान प्रकाश घोष का जन्म कलकत्ता में एक संगीतकारी से ताल्लुक रखने वाले परिवार में हुआ था. ये द्वारिक घोष के पोते थे. द्वारिक घोष ने द्वारकिन हारमोनियम का आविष्कार किया था. वे बंगाल में बहुत मशहूर थे. ज्ञान प्रकाश घोष कलकत्ता विश्वविद्यालय से पाली भाषा में प्रथम स्थान से उत्तीर्ण हुए थे. वे खेल और चित्रकारी के प्रति रूचि रखते थे, लेकिन एक फुटबॉल मैच के दौरान उनकी आँखों पर चोट लग गई जिसके कारण उन्होंने खेलो से दूरी कर ली. उसके बाद उन्होंने अपने हाथ संगीत में आजमाना शुरू किये.

उन्होंने गिरजाशंकर से गायन सीखा उसी के साथ-साथ उन्होंने मोहम्मद सागीर खान और मोहम्मद दाबिर खान से भी गायन का ज्ञान लिया. तबले का ज्ञान उस्ताद मसीत खान से लिया. मसीत खान फर्रुखाबाद के रहने वाले थे.

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करियर (Jnan Prakash Ghosh Career)

उन्होंने 15 साल तक ऑल इंडिया रेडियो में संगीत निर्माता की हैसियत से काम किया. ऑल इंडिया रेडियो में काम करते हुए उन्होंने शास्त्रीय संगीत, मॉडर्न संगीत और ऑर्केस्ट्रल संगीत में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने हिंदी, बंगाली और अंग्रेजी की मूल्यवान चर्चाओं, बातों और साक्षात्कारों में हिस्सा लिया. उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक भारतीय संगीत के मिलन से रामायणगीति की रचना की.

पंडित घोष सौरव अकादमी ऑफ़ म्यूजिक के संस्थापक थे. वे संगीत रिसर्च अकादमी से भी करीब से जुड़े हुए थे. उन्होंने कुछ बंगाली फिल्मों में भी अपने संगीत की प्रस्तुती दी. इनमें से जादूबट्टा और राजलक्ष्मी ओ श्रीकांत बहुत विख्यात है. उन्होंने कई कलाकारों के गाये हुए लोकप्रिय ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड में गीत लिखे और निर्देशित किये. पंडित वी. जी. जोग के साथ हारमोनियम और वायलेन पर की गई जुगलबंदी ने उन्हें पूरे भारत में विख्यात कर दिया. चतुरांग उनकी सबसे अच्छी और जानी–मानी रचनाओं से थी. इसमे तबले के साथ-साथ पखावज, कत्थक और तराना का मिश्रण था.

पंडित ज्ञान प्रकाश घोष अपने शिष्यों के साथ देर शाम को अभ्यास प्रारंभ करते थे. उन्होंने अपने सभी शिष्यों को अपने साथ रहने के लिए ही कहा था. कहा जाता है की ज्ञान प्रकाश घोष के सामने संगीत से जुड़ी कोई भी कमी आती तो वे दूर से समझा कर ही सही करवा दिया करते थे.

पुरस्कार और उपलब्धियां(Jnan Prakash Ghosh Awards and Achievements)

1974 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप नामक पुरस्कार से नवाज़ा गया था. यह भारत के ‘नेशनल अकादमी ऑफ़ म्यूजिक, डांस एंड ड्रामा का सर्वोच्च सम्मान था. 1984 में उन्हें भारतीय सरकार के द्वारा पद्म भूषण से नवाज़ा गया था.

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