रानी दुर्गावती की कहानी | Rani Durgavati History, Story, Facts, Jayanti, Samadhi in Hindi

रानी दुर्गावती की कहानी, जयंती, जौहर, कहानी
Rani Durgavati History, Birth, Story, death, Facts, Jayanti, Samadhi in Hindi

चन्देलों की बेटी थी, गौंडवाने की रानी थी,
चण्डी थी रणचण्डी थी, वह दुर्गावती भवानी थी.

भारत के इतिहास में महिलाओं की शौर्यगाथा, कौशल, पराक्रम, वीरता जैसे कितने ही गुणों का योगदान रहा. भारत की महिलाएं कभी भी कमजोर नहीं रहीं. भारत में कई वीरांगनाओं ने जन्म लिया. उनमें रानी दुर्गावती का प्रमुख स्थान है. वह एक साहसी, कुशल योद्धा व स्वाभिमानी महिला थी.

रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को दुर्गाष्टमी के दिन बांदा जिले के कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल के यहाँ हुआ था. वे तीर व बन्दूक चलाने में अत्यंत निपुण थी. इन्होने इलाहाबाद के मुग़ल शासक आसफ खां से लोहा लिया था. इनके राज्य का नाम गोंडवाना था और गोंडवाना सम्राज्य के राजा संग्राम शाह ने अपने पुत्र दलपत शाह मडावी का विवाह दुर्गावती से करवा दिया. इनके विवाह को चार वर्ष हुए ही थे कि इनके पति का स्वर्गवास हो गया और तब इन्होने 3 वर्षीय पुत्र नारायण की देखभाल अकेले ही की और स्वयं गढ़मंडला का शासन सम्भाला.

बिंदु (Points)जानकारी (Information)
नाम (Name)रानी दुर्गावती
जन्म (Date of Birth)1950
आयु70 वर्ष
जन्म स्थान (Birth Place)कालिंजर
पिता का नाम (Father Name)राजा कीर्तिसिंह चंदेल
माता का नाम (Mother Name)ज्ञात नहीं
पति का नाम (Husband Name)दलपत शाह मडावी
बच्चे (Children)ज्ञात नहीं
मृत्यु (Death)24 जून 1564
मृत्यु स्थान (Death Place)—-

रानी दुर्गावती की कहानी | Rani Durgavati Story in hindi

रानी दुर्गावती ने कई सामाजिक कार्य किये जैसे – कई कुएं, मठ, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाईं. मालवा के शासक बाजबहादुर ने कई बार रानी दुर्गावती के राज्य पर हमला किया लेकिन वह हर बार पराजित हुआ. इसके बाद अकबर ने भी गोंडवाना पर हमला किया लेकिन उसकी पराजय हुई. इसके बाद स्वयं दुर्गावती ने पुरुष वेश में युद्ध का नेतृत्व किया, जिसमें 3000 मुग़ल सैनिक मारे गए थे.

24 जून 1564 को पुनः युद्ध हुआ और इस युद्ध में मुगलों द्वारा रानी को तीर लगने पर वे घायल हो गयी और अंतिम समय जानकर उन्होंने अपने वजीर आधारसिंह से कहा कि वह अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दें लेकिन आधारसिंह ने ऐसा करने के लिए उनसे मना कर दिया. तब उन्होंने स्वयं अपनी कटार भोंककर अपना बलिदान कर दिया.

जन जन में रानी ही रानी
वह तीर थी,तलवार थी,
भालों और तोपों का वार थी,
फुफकार थी, हुंकार थी,
शत्रु का संहार थी

जौहर

रानी की मृत्यु से आसफ खां अत्यंत बौखला गया था क्योंकि वह रानी को अकबर को भेंट स्वरुप देना चाहता था. इस कारण उसने राजधानी चौरागढ़ पर आक्रमण कर दिया तब वहाँ की महिलाओं ने अपने सम्मान के लिए जौहर के अग्नि कुण्ड में अपने आप को समर्पित कर दिया लेकिन असाफ़ खां के आगे नहीं झुंकी.

रानी दुर्गावती से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य | Rani Durgavati Facts

  • आखिरी ऐतिहासिक युद्ध जबलपुर के पास ‘बरेला’ में हुआ था, जहाँ पर रानी दुर्गावती चंदेल की समाधि बनी हुई है.
  • 24 जून 1988 को रानी दुर्गावती को श्रद्धांजलि हेतु एक डाक टिकट भी जारी किया गया था.
  • रानी का जन्म दुर्गाष्टमी के दिन होने पर उनका नाम दुर्गावती रखा गया था व इनका विवाह अन्य जाति में किया गया था.
  • रानी ने 15 वर्षों तक अकेले शासन चलाया था. रानी का शासन काल इतना समृद्ध माना जाता था कि प्रजा लगान के तौर पर स्वर्ण मुद्राएं और हाथियों को अदा किया करती थी.
  • जबलपुर के विश्वविद्यालय और संग्राहलय का नाम रानी दुर्गावती के नाम पर ही है.

रानी दुर्गावती जयंती | Rani Durgavati Jayanti

रानी दुर्गावती शौर्य, शक्ति, बलिदान और बहादुरी की ऐसी मिशाल थी कि उनकी तुलना किसी से करना अनुचित होगा . ऐसी वीरांगना, अपूर्व सौन्दर्ययुक्त, प्रतिभाशाली रानी का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को हुआ था . उनके शौर्य को याद करते हुए प्रत्येक वर्ष रानी दुर्गावती जयंती मनाई जाती है. रानी ने अपने अद्वितीय पराक्रम से मुगलों को हरा दिया था और अपने देश का स्वाभिमान बरकरार रखा था. ऐसी देवी के जन्म दिवस को हम सभी प्रत्येक वर्ष 5 अक्टूबर को बड़े की सौहार्द्र के साथ मनाते हैं व गौरवान्वित होते हैं.

वास्तव में रानी दुर्गावती पराक्रम व वीरता की मिसाल थी, वे स्त्रीत्व के लिए एक आदर्श थी. आज भी भारत वर्ष उनके द्वारा किये गए बालिदान को याद करता है.

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