डेंगू बुखार की विस्तृत जानकारी और बचाव के उपाय | Dengue Fever & Home Treatment in Hindi

डेंगू बुखार के कारण, लक्षण, बचाव और इसे दूर करने के घरेलु उपाय | Dengue bukhar Ke Karan, Lakshan, Bachav & Gharelu Upay in Hindi

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा किए गए शोध के अनुसार प्रतिवर्ष लाखों लोग डेंगू के शिकार होते हैं. पिछले कुछ सालों में भारत में भी डेंगू के पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ी है. डेंगू का बुखार वैसे तो एक विशेष प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है. डेंगू एक प्रकार का वायरल इनफेक्शन है. जो दो विशेष प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलता है. इनकी प्रजाति “एडीज इजिप्ती” और “एडीज अल्बोपिक्टस” हैं. डेंगू युवाओं और बच्चों में बहुत जल्दी फैलता है. यदि समय रहते इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह बिमारी जानलेवा साबित हो सकती है.

डेंगू बुखार के कारण (Dengue bukhar ke karan)

डेंगू बुखार उस मच्छर के काटने से होता है जिसने पहले से ही किसी डेंगू के मरीज को काटा हो. डेंगू कोई संक्रमित बीमारी नहीं है. अतः यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं मिलती है. बल्कि यह मच्छरों के काटने से फैलती है.

घर के आसपास गड्डे और पानी जमा होने से वहां पर अत्यधिक संख्या में मच्छरों के लार्वा उत्पन्न होते हैं जिससे डेंगू फैलने की समस्या बढ़ जाती है. संक्रमित पानी के सेवन से भी डेंगू होने का खतरा रहता है. डेंगू के बुखार को सिर्फ लक्षणों के द्वारा पहचाना नहीं जा सकता है. अतः अपने डॉक्टर को एक बार अवश्य दिखाना चाहिए.

डेंगू के लक्षण (Dengue bukhar ke Lakshan)

  • डेंगू के लक्षण सामने आने में लगभग 5 से 7 दिन का समय लगता है. डेंगू के लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते.
  • डेंगू में पीड़ित व्यक्ति तेज बुखार से ग्रस्त होता है. लगभग 105 डिग्री फॉरेनहाइट का बुखार व्यक्ति को हो सकता है. यह बुखार कम ज्यादा होता रहता है यह अधिक दिनों तक बना रहता है.
  • डेंगू के बुखार को हड्डियों का बुखार भी कहा जाता है. जो कि सभी मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द उत्पन्न करता है. व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और वह अत्यंत ही कमजोर महसूस करता है.
  • डेंगू के बुखार में शरीर पर लाल चकते या दाने भी पड़ने लगते हैं. यह बच्चों में अधिकतर दिखाई देते हैं.
  • डेंगू के बुखार में मरीज के प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं. जिससे वह कमजोरी का अनुभव तो करता ही है साथ ही उसे चक्कर भी आने लगते हैं.

डेंगू से बचाव (Dengue bukhar se Bachav)

वर्ष 2016 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने डेंगू के लिए वैक्सीन बनाए थे परंतु यह वैक्सीन इतने प्रभावशाली नहीं है कि डेंगू की रोकथाम कर सकें. अपने घर के आसपास या किसी भी स्थान पर पानी को जमा ना होने दें. जैसे कूलर में भरा पुराना पानी, घर के किसी कोने भरा पानी, बर्तनों में रखा पानी आदि. ऐसे स्थानों पर मच्छर बहुत जल्दी पनपते है. मच्छरों के लार्वा बहुत समय से रखे पानी में बहुत जल्दी बढ़ते हैं. डेंगू से बचने के सरल और आसान उपाय निम्नलिखित हैं.

  • घर के कचरे को नियमित रूप से कूड़ा दान आदि में डालें.
  • रात को सोते समय मच्छर काटने से बचाने वाली क्रीम या मच्छर मारने की दवा का उपयोग करना चाहिए.
  • मच्छर मारने के लिए प्राकृतिक दवा हो जैसे लेमनग्रास और नीम का तेल आदि का उपयोग करना चाहिए.
  • रात को सोते समय मच्छरदानी आदि का उपयोग भी किया जा सकता है.
  • पूरी बाह वाली कमीज पहनना चाहिए.

डेंगू के घरेलू उपचार (Dengue bukhar ke Gharelu Upay)

ऐसे तो डेंगू के बुखार में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए परंतु कुछ घरेलू उपचार भी है जो डेंगू के इलाज में सहायक सिद्ध होते हैं.

  • डेंगू के अधिकतर मरीजों को प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं. गिलोय और पपीते के पत्तों का रस डेंगू के उपचार में अत्यधिक सहायक है. नियमित रूप से 1 दिन में दो बार 10ml पपीते के पत्तों का जूस पीना चाहिए.
  • गिलोय के पत्तों का रस भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.
  • बकरी का दूध डेंगू के इलाज के लिए बहुत ही लाभदायक है. इसमें औषधीय गुणों की मात्रा भरपूर होती है. बकरी का दूध आसानी से पच जाता है. जहां जर्सी गाय के दूध को पचाने में 8 घंटे का समय लगता है वहीं बकरी के दूध को पचाने के लिए सिर्फ 20 मिनट का समय लगता है. यह मरीज के हड्डियों और मांसपेशियों के खिंचाव और दर्द को कम करता है.
  • कीवी और ड्रैगन फ्रूट का सेवन डेंगू के उपचार में सहायक होता है. यह फल अब आसानी से भारत में उपलब्ध है. कीवी में विटामिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. और यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. यह शरीर में स्फूर्ति प्रदान करता है. और साथ ही शरीर के जोड़ों एवं हड्डियों को मजबूत बनाता है.
  • हल्दी का औषधीय गुण डेंगू के इलाज में बहुत सहायता प्रदान करता है. हल्दी में मौजूद एंटीबायोटिक तत्व हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं.

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