लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा मिनटों में पित्त की पथरी को खत्म का कारगर उपाय

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा मिनटों में पित्त की पथरी को खत्म का कारगर उपाय | Effective solution to eliminate gallstones in minutes in hindi

पित्त की पथरी क्या है ? (What is Gallstone)

पित्त की पथरी एक गंभीर शारीरिक बीमारी है। पित्त हरे रंग का एक तरल पदार्थ होता है जो लिवर में बनकर लिवर से लगी हुई पित्त की थैली गालब्लैडर में इकट्ठा होता रहता है। पित्त हमारे पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह लिवर और छोटी आंत के बीच पुल की तरह काम करता है। पित्त में कोलेस्ट्रॉल जरुरत से ज्यादा बढ़ने पर पित्ताशय की थैली ठीक से खाली नहीं हो पाती है और इसकी वजह से इसमें पथरी बन जाती है।

पथरी रेत से लेकर एक फुटबॉल के आकार तक की हो सकती है। पित्त की थैली में पथरी होने का पता तब चलता है, जब दर्द होना शुरू हो जाता है। अगर पित्त की पथरी का समय पर सही इलाज नहीं हुआ तो यह घातक रूप ले सकता है और साथ ही कैंसर जैसी भयानक बीमारी का कारण भी बन सकता है। पित्त की पथरी के प्रारंभिक चरण में ही इसका इलाज करा लेना बेहतर होता है।

डॉक्टर के अनुसार पित्त की पथरी किसी भी उम्र के इंसान को हो सकती है। लेकिन आमतौर पर यह बीमारी महिलाओं और बुजुर्गों में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। इसकी गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके कारण इंफेक्शन, सूजन और दर्द तो होता ही है, साथ ही अगर लंबे समय तक इसे नजरअंदाज किया गया तो इससे कैंसर भी हो सकता है।

पित्त की पथरी के कारण (Causes of Gallstones)

डॉक्टर के मुताबिक कई वजहों से पित्त की पथरी होती है। इसमें अनियमित जीवनशैली, असंतुलित खान-पान, अधिक मोटापा, आनुवंशिक (जेनेटिक) कारण शामिल हैं। गर्भवती महिलाओं को इस पथरी के होने का खतरा ज्यादा होता है। गर्भ निरोधक गोली का इस्तेमाल करना, तेजी से वजन कम होना, बुढ़ापा, पाचन तंत्र कमजोर होना, ज्यादा जंक फूड खाना, जरुरत से ज्यादा परहेज करना, डायबिटीज, प्रेगनेंसी या हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की वजह से शरीर में ज्यादा एस्ट्रोजन बनने से भी पित्त की पथरी हो जाती है।

पित्त की पथरी के लक्षण (Symptoms of Gallstones)

पित्त की पथरी होने के लक्षण में पेशाब का रंग काला पड़ना, मिटटी के रंग का मल आना, पेट और दाहिने कंधे में तेज दर्द होना, आंखों का पीला पड़ना या पीलिया का संकेत होना, जी मिचलाना, उल्टी आना, पेट में कई घंटों तक दर्द बने रहना, भूख ना लगना, कमजोरी होना, पेट फूलना, बदहजमी होना, खट्टापन महसूस होना, ठंड लगना और बुखार होना शामिल हैं।

पित्त की पथरी की जांच (Gallstones Test)

इलाज करने से पहले डॉक्टर मरीज की जांच करते हैं जिससे उन्हें यह जानने में मदद मिलती है कि क्या मरीज को वाकई में पित्त की पथरी है। और अगर है तो किस स्थिति में है। मरीज के खून में बिलीरुबिन की मात्रा जानने के लिए खून की जांच करते हैं। इस जांच से मरीज का लिवर कितनी अच्छी तरह से काम कर रहा है, इसकी जानकारी मिलती है। पेट का अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन करते हैं। इससे शरीर की आंतरिक जांच कर बीमारी की जड़ समझी जाती है।

इन सब के अलावा डॉक्टर एंडोस्कोपी जांच का भी इस्तेमाल करते हैं। इस जांच के दौरान डॉक्टर मरीज के गले के गले के नली के जरिए एक ट्यूब जठरांत्र पथ (Gastrointestinal (GI) Tract) में डालते हैं। इस ट्यूब के आखिरी हिस्से पर एक कैमरा लगा होता है जिससे डॉक्टर मरीज के पेट की अंदरूनी तस्वीर को कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखते हैं। इन सभी जांच के जरिए इलाज प्रक्रिया आसान हो जाती है।

45 मिनट में पित्त की पथरी का इलाज

इलाज के तो बहुत तरीके हैं लेकिन इनमें समय काफी लगता है। इसलिए पित्त की पथरी का इलाज करने के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को सबसे बेहतर माध्यम माना जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की मदद से पित्त की पथरी का इलाज मात्र 45 मिनट में किया जा सकता है।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करने से पहले डॉक्टर मरीज से एलर्जी और उनके चल रहे दूसरे इलाज के बारे में पूछते हैं। इससे इस बात को सुनिश्चित किया जाता है कि सर्जरी के दौरान या फिर इसके बाद मरीज को किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो।

जब मरीज पूरी तरह से सर्जरी के लिए तैयार हो जाता है तब उसे जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। इसके बाद सर्जन एक छोटा सा कट लगाते हैं। कई बार एक से ज्यादा भी कट लगते हैं। फिर कट के जरिए लेप्रोस्कोप को अंदर डालते हैं।

लेप्रोस्कोप’ एक हाई टेक्नोलॉजी कैमरा है जो अंदरूनी अंग को बारीकी से दिखाता है। इसके बाद डॉक्टर लेप्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल करके पित्त की पथरी की सर्जरी करते हैं।

लेप्रोस्कोपिक का काम पूरा होने के बाद उसे शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है। इसके बाद लगाए हुए कट को बंद कर दिया जाता है। इसमें लगभग 45 मिनट का समय लगता है। सर्जरी खत्म होने के बाद मरीज को 24 से 48 घंटे के अंदर डिस्चार्ज कर दिया जाता है।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी के मुकाबले कई गुना ज्यादा बेहतर है। इसमें रोगी को ज्यादा दर्द नहीं होता है और कम समय लगता है। इसके अलावा रिकवरी भी जल्दी होती है।

Pristyn Care में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा पित्त की पथरी का इलाज

प्रिस्टीन केयर (Pristyn Care) में पित्त की पथरी का इलाज लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा किया जाता है। प्रिस्टीन केयर में पित्त की पथरी का इलाज कराने पर मरीज को किसी चीज की फिक्र नहीं करनी होती। प्रिस्टीन केयर के कर्मचारी पर्ची कटवाने से लेकर मरीज के खाने और रहने तक का प्रबंध करते हैं।

पित्त की पथरी की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी अनुभवी और कुशल सर्जन के द्वारा की जाती है। प्रिस्टीन केयर (Pristyn Care) के सर्जन पित्त की पथरी को सर्जरी के जरिए आसानी से खत्म कर देते हैं।

यहां सभी इलाज एडवांस टेक्नोलॉजी के द्वारा की जाती है। मरीजों को फ्री फॉलो-अप की सुविधा भी दी जाती है। इसके साथ साथ मरीज के आने जाने का खर्चा भी उठाया जाता है। प्रिस्टीन केयर इंश्योरेंस टीम के जरिए मरीज पित्त की पथरी का लेजर ट्रीटमेंट 100% तक के क्लैम पर करा सकते हैं।

प्रिस्टीन केयर (Pristyn Care) में पित्त की पथरी का इलाज करने से पहले डॉक्टर कुछ जांच करते हैं ताकि बीमारी और उसकी स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकें। इसमें शारीरिक परीक्षण, खून की जांच, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, एमआरआई आदि शामिल हैं। अगर आप पित्त की पथरी की सर्जरी के लिए बेस्ट हॉस्पिटल की तलाश में हैं तो प्रिस्टीन केयर से संपर्क कर सकते हैं।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे (Advantages of Laparoscopic Surgery)

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान किए गए कट का साइज बहुत छोटा होता है। इसलिए इस सर्जरी के दौरान ब्लीडिंग होने का खतरा खत्म होता है और मरीज के शरीर में खून चढ़ाने जैसी स्थिति पैदा नहीं होती। कट का साइज छोटा होने से मरीज को कम से कम दर्द होता है। इस स्थिति में मरीज को किसी भी तरह के पेन किलर दवा को लेने की जरूरत नहीं पड़ती है।

साथ ही साथ सर्जरी के दौरान लगाए गए कट के निशान पड़ने का खतरा बहुत कम होता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान Internal Organs का External Contaminants के साथ संपर्क नहीं होता है जिससे इंफेक्शन होने का खतरा भी खत्म हो जाता है। सर्जरी के बाद मरीज को ज्यादा समय तक हॉस्पिटल में रुकने की जरुरत नहीं पड़ती है।

आमतौर पर सर्जरी के बाद मरीज को उसी दिन या फिर उसके अगले दिन डिस्चार्ज कर दिया जाता है। सर्जरी के बाद मरीज को ठीक होने में बहुत कम समय लगता है। इससे रूटीन लाइफ जल्दी शुरू कर सकते हैं।

इन सबके अलावा यह सर्जरी :

  • सुरक्षित प्रक्रिया है।
  • 30 मिनट में सर्जरी पूरी हो जाती है।
  • 1 CM का कट लगता है।
  • दर्द नहीं होता है।
  • टांके नहीं लगते हैं।
  • जख्म नहीं बनता है।
  • बहुत ही प्रभावशाली इलाज है।
  • स्टेज 1 – पेट में तेज दर्द से राहत।
  • स्टेज 2 – संक्रमण होने का खतरा कम होना।
  • स्टेज 3 – पथरी का सीबीडी में खिसकने से रुकना।
  • स्टेज 4 – इमरजेंसी कंडीशन में अस्पताल में भर्ती होने से बचना।
  • 24 से 48 घंटे के अंदर डिस्चार्ज।

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