संक्षेपण किसे कहते हैं? परिभाषा, नियम और उदाहरण | Critical Precis Definition, Example In Hindi

संक्षेपण किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा, विशेषताएं, नियम, प्रकार और उदाहरण सहित | Critical Precis Definition, Rules, Type, Example In Hindi

संक्षेपण का अर्थ और परिभाषा | Critical Precis Definition

इसका यानि संक्षेपण का अर्थ है संक्षिप्त या छोटा करना होता है. किसी अनुच्छेद, परिच्छेद, विस्तृत कथा अथवा प्रतिवेदन को जितने कम से कम शब्दों में प्रस्तुत किया जाए जिसमें उस विषय का पूर्ण भाव एवं उद्देश्य स्पष्ट हो सके को उसे संक्षेपण कहते हैं. सरल तरीके से हम यह कह सकते हैं कि अनावश्यक बातों को लगभग हटाकर एक तिहाई शब्दों में उसकी आवश्यक एवं महत्वपूर्ण बातों को व्यक्त कर देना को ही संक्षेपण कहते है.

संक्षेपण के प्रकार | Type of Critical Precis

  • समाचार का संक्षेपण – हर एक समाचारों के संक्षेपण में तिथि, स्थान तथा संबंध रखने वाले व्यक्तियों के नाम का उल्लेख किया जाना चाहिए अर्थात इस प्रकार के संक्षेपणों में शीर्षक प्रभावी होना चाहिए.
  • संवाद का संक्षेपण – हर एक संवाद का संक्षेपण आवश्यक नहीं होता. स्पष्ट दिखाई देनेवाला कथन को जो दिखाई न दे उस कथन में रहना चाहिए. उद्धरण चिह्नों (“ ”) को हटा देना चाहिए तथा संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग करना चाहिए.
  • पत्राचारों का संक्षेपण – सभी कार्यालयों में पत्राचारों के संक्षेपण की आवश्यकता होती है. 

संक्षेपण का महत्व 

संक्षेप करते समय उपयुक्त भाव के लिए मूल अवतरण के क्रम में परिवर्तन कर उसे अधिक संगत बना देता है. इसके साथ ही संक्षेपण करते समय वाक्यों की संगति रखना भी आवश्यक होता है जिससे की विचारों में कोई अन्तर न आ जाए. आज के समय में सब जगह संक्षेपण का महत्व है. अभी के जीवन में ऐसे व्यक्ति को अधिक महत्व दिया जाता है जो संक्षेप में बात कहता है और बेवजह में अपने कथन को फैलाव नहीं देता है.

संक्षेपण की अच्छी विशेषताएं

  • यह ऐसी कला है जिसके द्वारा किसी कथन को किसी विषय को कम से कम शब्दों में प्रस्तुत किया जाए तो भी वे स्वयं में पूर्ण हो.
  • संक्षेपण से किसी भी लेख या अवतरण के मूल तत्वों का ज्ञान तो होता ही है तथा साथ ही इस माध्यम से विचारों और भावों को अभिव्यक्ति और समालोचना में विशेष सहायता प्राप्त होती है.
  • यह मूल कथन से सदैव रूप में छोटा होता है.
  • संक्षेपण समास और व्यास शैली आदि भेद के कारण इसका कोई नियम निश्चित नहीं होता तथा इसमें मूल का लगभग एक तिहाई भाग ही होता है.

संक्षेपण के उदाहरण | Critical Precis Example

  1. मूल कथन : विश्वविद्यालय की कई महिमा रही है. शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा रोब रहा है नालंदा का. दस हजार विद्यार्थी और पन्द्रह सौ आचार्य थे. बौद्ध दर्शन, इतिहास, वेद, हेतु विद्या, न्याय शास्त्र, व्याकरण, चिकित्सा शास्त्र, ज्योतिष आदि के शिक्षण की व्यवस्था इस विश्वविद्यालय में था. कई विख्यात आचार्यों का नाम नालंदा से जुड़ा था. लेकिन नालंदा के इतिहास में काला धब्बा भी लग गया है. यह काला धब्बा नालंदा के पुस्तकालय को लेकर है. बख्तियार खिलजी के आक्रमणों से देश की जो सबसे बड़ी हानि हुई वह थी वहाँ के इन पुस्तकालयों को आग के हवाले करना. इस अग्निकांड में वे अमूल्य ग्रंथ सदा के लिए भस्म हो गए. जिनका उल्लेख मात्र तिब्बती और चीनी ग्रंथों में मिलता है. तिब्बती विवरणों से पता चलता है कि नालंदा में पुस्तकालयों का एक विशिष्ट क्षेत्र था.

शीर्षक: नालंदा विश्वविद्यालय की महिमा

संक्षेपण : नालंदा विश्वविद्यालय की शिक्षा के क्षेत्र में कभी काफी रोब रहा है. यहाँ बौद्ध दर्शन, इतिहास, वेद शास्त्र, हेतु विद्या, न्याय शास्त्र, व्याकरण, चिकित्सा, ज्योतिष आदि सभी विषयों की उत्तम व्यवस्था थी. यहाँ कई नामी शिक्षक थे. किंतु बख्यिार खिलजी के आक्रमणों के समय इसके पुस्तकालयों को जला दिया गया जिसके कारण इसमें स्थित अमूल्य ग्रंथ नष्ट हो गए जिनकी चर्चा केवल तिब्बती और चीनी ग्रंथों में मिलती है.

  1. मूल कथन : भारत के पास कुछ ऐसी संपत्ति हैं तथा लाभ हैं जिनके बारे में विश्व के कुछ देश गर्व से दावा कर सकते हैं. विश्व एक बौद्धिक समाज में परिवर्तित हो रहा है जहाँ धन का स्रोत होगा. यही वह समय है जब भारत खुद को एक बौद्धिक शक्ति में बदलने और फिर अगले दो दशकों के भीतर एक विकसित देश बनने के लिए इस अवसर का लाभ उठा सकता है. इस रूपांतरण के लिए यह जानना आवश्यक है कि हम प्रतिस्पर्धात्मकता के मामले में कहाँ हैं.

शीर्षक: प्रतिस्पर्धा की पहचान

संक्षेपण : भारतीय को प्रतिष्ठित अतीत तथा वर्तमान उपलब्धियों व भविष्य को जानने की आवश्यकता है क्योंकि संसार बौद्धिक होता जा रहा है और ज्ञान शक्ति व धन का स्रोत बनता जा रहा है जिसके विकास के लिए उसे प्रतिस्पर्धा में स्वयं को पहचानना होगा कि वह कहाँ है.

  1. मूल कथन : ऋतुराज बसन्त के आगमन से ही शीत का भयंकर प्रकोप भाग गया. पतझड़ में पश्चिम के पवन ने जीर्ण-शीर्ण पत्रों को गिराकर पेड़-पौधों को स्वच्छ और निर्मल बना दिया. वृक्षों और लताओं के अंग में नूतन पत्तियों के खिलने से यौवन की मादकता छा गयी. शीतकाल के ठिठुरे अंगों में नया फुरती उमड़ रही है तथा बसन्त के आगमन के साथ ही जैसे पुरानापन और पुरातन का प्रभाव छिप गया है. प्रकृति के कण-कण में नया जीवन का संचार हो गया है. आम के मंजरियों की गंध और कोयल का आवाज़, भँवरों का गुंजन सब ऐसा लगता है जैसे जीवन में सुख ही सुख है यह आनन्द के एक क्षण का मूल्य पूरे जीवन को अर्पित करके भी नहीं चुकाया जा सकता है. प्रकृति ने बसन्त के आगमन पर अपने रूप को इतना संवारा है और रचा है कि उसकी शोभा का वर्णन करना असंभव है.

शीर्षक : बसन्त ऋतु की शोभा

संक्षेपण : बसंत के आते ही शीत की कठोरता चली जाती हैं. पश्चिम के पवन ने वृक्षों के पत्ते गिरा दिये तथा वृक्षों और लताओं में नये पत्ते निकल आये. उनकी सुगन्ध से दिशाएँ महक उठीं. आम की मंजरियों से सुगंध आने लगे, कोयल कूकने लगी तथा फूलों पर भँवरे मँडराने लगे. प्रकृति में सर्वत्र नवीन जीवन का संचार हो उठा. 

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