पुस्तकालय – ज्ञान मन्दिर पर अनुच्छेद | Article on Library in Hindi

पुस्तकालय – ज्ञान मन्दिर पर अनुच्छेद | Article on Library in Hindi | Pustakalaya – Gyan Mandir Par Paragraph

हमारे जीवन में पुस्तक का एक बहुत बड़ा महत्व है पुस्तक पढ़के हम अपने दिमाग की क्षमता काफी बड़ा सकते है. हमारे जीवन को बदलने के लिए एक अच्छी पुस्तक ही काफी है. हम भारतीयों में जहां पुस्तक रखी जाती है, उसे हम ज्ञान का मंदिर या पुस्तकालय भी कहते है. ऐसे बहुत से कवि है जिनकी हम किताब पढ़कर अपना जीवन बदल सकते है और एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते है.

पुस्तकालय – ज्ञान मन्दिर

संकेत बिन्दु – (1) पुस्तकें हमारी मित्र (2) पुस्तकालय के प्रकार (3) पुस्तकालय का महत्व

“मैं जो नया ग्रन्थ विलोकता हूँ, भाता मुझे सो नव मित्र-सा है।
देखूं उसे मैं नित प्रेम से ही, मानो मिला मित्र मुझे पुराना।” 

वस्तुतः पुस्तकें हमारी उत्तम मित्र के सदृश होती हैं, जिनके साथ आनन्दपूर्वक हम घण्टों बिता सकते हैं वे हमें ऊबने नहीं देतीं. वे हमारा मनोरंजन करने के साथ ही हमें ज्ञान से भर देती हैं. तभी तो अंग्रेजी की कहावत है-Books are our best friends. (पुस्तकें हमारी उत्तम मित्र हैं).

पुस्तकालय के प्रकार– निजी पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय, सरकारी पुस्तकालय, विद्यालय, महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय, घरेलू पुस्तकालय, चलते-फिरते पुस्तकालय आदि पुस्तकालय के विविध प्रकार हैं जहाँ जाकर लोग अपना ज्ञान-वर्द्धन करते हैं.
पुस्तकालय का महत्व – पुस्तकालय का महत्व सार्वजनिक हैं. पुस्तकालय शब्द का अर्थ है-पुस्तक मन्दिर जहाँ नाना विषयों से सम्बन्धित पुस्तकें होती हैं, ढेर सारी पत्र-पत्रिकाएँ रूपी ज्ञान मूर्तियाँ होती हैं, जिनका दर्शन कर पाठक कृतार्थ हो जाते हैं, आज के युग में पुस्तकालय का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है. आज लोग देश विदेश, गाँव-नगर की घटनाओं से परिचित होना चाहते हैं. वे अपने समय का सदुपयोग करना चाहते हैं. वे अपने बच्चों को अच्छी पुस्तकें देना चाहते हैं, जिससे बच्चे गलत संगति में न पड़ें और उनके सुन्दर भविष्य का निर्माण हो. इन सब कारणों से पुस्तकालय आज बड़ा महत्वपूर्ण ज्ञान का साधन हो गया है.

अनुच्छेद लिखने की रीति

हम अगर इन बातों का ध्यान रखे तो हम अनुच्छेद को बिल्कुल सटीकता से लिख सकते है.

  • किसी भी विषय पर अगर हमें अनुच्छेद लिखना है, तो हमें उस विषय की जानकारी होना अति आवश्क है.
  • विषय को प्रस्तुत करने की शैली अथवा पद्धति तय होनी चाहिए.
  • चुने हुए विषय पर लिखने से पहले चिन्तन-मनन करे ताकि मूल भाव भली-भाँति स्पष्ट हो सके.
  • अनुच्छेद लिखते समय मात्राओं की गलती एवं कटा-पिटी ना हो इस बात को हमेशा याद रखे.
  • लिखते समय सरल भाषा का प्रयोग करे एवं ध्यान रखे की विषय के अनुकूल होनी चाहिए.
  • मुहावरे और लोकोक्तियों आदि का प्रयोग करके भाषा को सुंदर एवं व्यावहारिक बनाने का प्रयास करे.

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