त्रिस्पर्षा एकादशी 2024 का महत्व और पूजा विधि | Trisparsha Ekadashi Significance and Puja Vidhi in Hindi

2024 में त्रिस्पर्षा एकादशी कब हैं इसका महत्व और पूजा विधि | When is Trisparsha Ekadashi in 2024, It’s Significance and Puja Vidhi in Hindi

त्रिस्पर्षा एकादशी जिसे ज्यादातर लोग निर्जला एकादशी के रूप में भी जानते हैं. त्रिस्पर्षा एकादशी व्रत एक हजार एकादशी के उपवास के बराबर पुण्य प्रदान कर सकती है. जो बारहवें दिन अपने व्रत को पूरा करता है उसे बहुत लाभ प्राप्त होता है. जो एकादशी की रात को जागता है, वह भगवान नारायण के ज्ञानवर्धक रूप में पुण्य प्राप्त करता है.

‘पद्म पुराण’ में, देवऋषि नारदजी भगवान शिव से निवेदन करते हैं: “हे सर्वशक्तिमान! कृपया त्रिस्पर्षा एकादशी के व्रत का वर्णन करें, जिसे सुनकर कोई भी इस संसार से अंतिम मुक्ति प्राप्त करता है.”

त्रिस्पर्षा एकादशी कब आती हैं? (Trisparsha Ekadashi in 2024)

तारीख (Date)18 जून, 2024
वार (Day)मंगलवार
एकादशी तिथि प्रारम्भ (Ekadashi Started)02 जून को सुबह 05 बजकर 04 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त (Ekadashi Ended)03 जून को देर रात 02 बजकर 41 मिनट
पारण समय (Parana Time)19, जून को सुबह 05:23:25 से सुबह 08:11:03 तक
Trisparsha Ekadashi Significance and Puja Vidhi in Hindi
Trisparsha Ekadashi

त्रिस्पर्षा एकादशी का महत्व (Trisparsha Ekadashi Significance)

इस दिन उपवास रखना, यहां तक कि उस व्यक्ति को भी मोक्ष प्रदान कर सकता है जो संत की हत्या का दोषी है. हजार अश्वमेघ संस्कार और सौ वाजपेयी संस्कार करने का पुण्य प्रदान करता है. जो इस व्रत को करता है, वह अपने पिता के वंश, माता के वंश और पत्नी के वंश के साथ विष्णु लोक में स्थापित होता है. इस व्रत के दौरान हर किसी को 12 अक्षर मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) का पाठ करना चाहिए. जो इस व्रत को करता है, वह सभी धार्मिक व्रतों के फल का भोगी बन जाता है.

त्रिस्पर्षा एकादशी की पूजा विधि (Trisparsha Ekadashi Puja Vidhi)

  • त्रिस्पर्षा एकादशी के दिन सुबह सुबह जल्दी स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करना चाहिए.
  • प्रातः काल भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.
  • इस दिन उपवास करने की परंपरा हैं. भोजन में परिवार के किसी भी सदस्य को चावल और ज्यो का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • यदि निर्जला उपवास करने में सक्षम हो, तो आंशिक उपवास भी कर सकते हैं.
  • उपवास समाप्त होने पर द्वादशी पर ब्राह्मण भोज करवाना चाहिए या इसके स्थान पर कुछ दान करना चाहिए.

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