शिवाजी की कहानी : स्वयं को मुसीबत में डाल अपनी प्रजा के लिए लड़ते थे शिवाजी महाराज

Chhatrapati Shivaji Maharaj story with Tanaji in Hindi | छत्रपति शिवाजी महाराज और तानाजी से जुडी रोचक कहानी, प्रेरक प्रसंग

बात उन दिनों की है जब छत्रपति शिवाजी महाराज मुग़ल सेना से बचने के लिए अपना वेश बदलकर रहते थे. एक दिन शिवाजी विचरण करते हुए एक गरीब ब्राह्मण के यहाँ रुके, उस ब्राह्मण का नाम विनायक देव था जो अपनी माँ के साथ रहता था. वह भिक्षा वृत्ति कर अपना जीवन चलता था.

अत्यधिक गरीबी के बावजूद भी उसने शिवाजी का अपनी पूरी शक्ति लगाकर आदर सत्कार किया. एक दिन जब भिक्षा मांगने निकला तो शाम तक उसे बहुत ही कम अन्न प्राप्त हुआ. वह घर आया और भोजन बनाकर शिवाजी और अपनी माँ को भोजन खिला दिया और स्वयं भूखा ही रहा.

शिवाजी को अपने आश्रयदाता की दरिद्रता हृदय तक चुभ गयी और उन्होंने उसकी मदद करने का निश्चय किया.

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उसी समय शिवाजी ने एक युक्ति सोची और एक पत्र वहां के मुग़ल सूबेदार को भिजवाया. उस पत्र में उन्होंने लिखा की शिवाजी इस ब्राह्मण के यहाँ रुके है और इस सुचना के बदले इस ब्राह्मण को बदले में 2 हजार अशर्फियाँ दे दें. सूबेदार शिवाजी के बड़प्पन और ईमानदारी से पूर्णतः परिचित था. अतः उसने ब्राह्मण को 2 हजार अशर्फियाँ दे दी और शिवाजी को गिरफ्तार कर लिया.

बाद में जब तानाजी से यह सब सुनकर कि उसके अतिथि स्वयं शिवाजी थे तो वह ब्राह्मण छाती पिट पिटकर विलाप करने लगा. तब तानाजी ने उसे सांत्वना दी और मार्ग में ही सूबेदार से संघर्ष कर शिवाजी को मुक्त करा लिया.

ऐसे थे शिवाजी जो अपनी प्रजा के लिए स्वयं के प्राणों को संकट में डालने से कभी पीछे नहीं हटते थे.

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