अजीमुल्लाह खान (स्वतंत्रता सेनानी) का जीवन परिचय | Azimullah Khan Biography in Hindi

अजीमुल्लाह खान (स्वतंत्रता सेनानी) का जीवनी, 1857 की क्रांति में योगदान और मृत्यु | Azimullah Khan Biography,1857 Revolt and Death Story in Hindi

अजीमुल्लाह खान यूसुफजई जिन्हें दीवान अज़ीमुल्लाह खान भी कहा जाता है. वे नाना साहिब के सचिव थे और बाद में वे नाना साहिब के प्रधानमंत्री भी बने. उन्हें क्रांतिदुत अजीमुल्ला खान और क्रांति के राजदूत के नाम से भी जाना जाता है. अजीमुल्लाह खान 1857 क्रांति के भारतीय विद्रोह में शामिल थे. अजीमुल्लाह खान ने मुख्य रूप से वैचारिक रूप से, नाना साहिब जैसे महत्वपूर्ण राजाओं को प्रभावित किया था.

बिंदु (Points)जानकारी (Information)
पूरा नाम (Full Name)अजीमुल्लाह खान
जन्म स्थान (Birth Date)कानपुर
पिता नाम (Father Name)नजीब खान
प्रसिद्दी कारण (Known For)स्वतंत्रता सेनानी

अजीमुल्लाह खान जन्म और प्रारंभिक (Azimullah Khan Birth and Early Life )

अजीमुल्लाह खान का जन्म एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था. इनके पिता नजीब मिस्त्री थे. एक बार किसी अंग्रेज अधिकारी ने अजीमुल्लाह खान के पिता को छत पर से धक्का दे दिया था.

अजीमुल्लाह खान का परिवार वर्ष 1837-38 के अकाल में प्रभावित हुआ था. जिसके कारण उन्हें उनकी माँ के साथ कानपुर में एक मिशन में आश्रय लेना पड़ा था. जहाँ अजीमुल्लाह खान ने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की. वहीँ पर उन्होंने अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा का ज्ञान प्राप्त किया. जिसके बाद मौलवी निसार अहमद से फारसी, उर्दू और पंडित गजानन मिश्र से हिंदी और संस्कृत भाषा भी सीखी.

अजीमुल्लाह खान और 1857 का स्वतंत्रता संग्राम (Azimullah Khan and 1857 Revolt)

भाषा का अच्छा ज्ञान होने की वजह से अजीमुल्लाह खान को भारतीय समस्याओं को समझने के लिए अंग्रेजों ने सचिव बनाया. अपने कार्यो को अच्छे तरीके से पूर्ण करने के कारण अजीमुल्लाह खान बहुत जल्द ही लोकप्रिय हो गए. अपनी लोकप्रियता के कारण अजीमुल्लाह खान को पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने अपना सचिव बना लिया.

उस समय पेशवा बाजीराव को अंग्रेज सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 80,000 डॉलर की पेंशन प्रदान की जाती थी. पेशवा बाजीराव की मृत्यु के बाद नाना साहिब ने पेशवा की सारे पदों का निर्वहन किया. परन्तु अंग्रेजों ने नाना साहेब पेशवा को सभी सुविधाओं के साथ पेंशन देना बंद कर दिया था. जिसके बाद नाना साहेब ने ब्रिटिश सरकार को आवेदनपत्र दिया और पेशवाई पेंशन को चालू कराने की माँग की. परन्तु जब ब्रिटिश सरकार ने पेंशन चालू करने से मना कर दिया तब नाना साहेब ने अजीमुल्लाह खान को अपने वकील के तौर पर महारानी विक्टोरिया के पास इंग्लैंड भेजा.

Azimullah Khan Biography in Hindi

नाना साहेब की पेंशन की समस्या को हल करने के लिए अजीमुल्लाह खान ने कई कोशिशे की परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली. इस दौरान उनकी मुलाकात गार्डन लूसी से हुई थी, जिसका पति ब्रिटिश प्रधानमंत्री का कजिन था. लूसी के जरिये अजीमुल्लाह खान की मुलाकात इंग्लैंड के बड़े बड़े लोगो से हुई, उनमे से अधिकतर महिलाएं थी. इंग्लैंड से लौटने के दौरान अजीमुल्लाह खान अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह का मन बना चुके थे.

इंग्लैंड से भारत लौटते वक्त अजीमुल्लाह खान ने तुर्की और उसके जासूसों से भी मुलाकात की. उन्होंने 1857 की क्रांति के लिए वहां के खलीफा और राजाओं से भी सहायता की मांग की. जिसके बाद में भारत लौट कर नाना साहिब के अंतर्मन में क्रांति का बीज रोपित कर दिया.

1857 की क्रांति के लिए सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को संगठित करने का कार्य अजीमुल्लाह खान ने किया. ऐसा इतिहास के पन्नों में देखने को मिलता है. अजीमुल्लाह खान ने तात्या टोपे, रानी जैसे अनेक क्रांतिकारियों को एकजुट करने का कार्य किया.

कानपुर में उस समय दो बड़े क्रूरता पूर्वक घटना घटी थी. जिसमें 200 अंग्रेज महिलाओं और बच्चों की हत्या कर दी गई थी. जिसके लिए अजीम उल्लाह खां को दोषी माना गया था. परंतु 1857 की क्रांति कुछ कारणों से सफल नहीं हो पाई फलस्वरूप वर्ष 1858 में इंग्लैंड की महारानी ने भारत का शासन अपने हाथों में ले लिया. इतिहासकारों के अनुसार नानासाहेब और अजीमुल्लाह खान किसी तरह बचकर नेपाल देश चले गए.

अजीमुल्लाह खान मृत्यु (Azimullah Khan Death)

कुछ लोगों का मानना है कि अजीमुल्लाह खान की मौत नेपाल में बुखार की वजह से हुई थी. परंतु एक मत यह भी है की अजीमुल्लाह एक ब्रिटिश लेडी के साथ बचकर देश से कहीं बाहर चले गए थे. क्योंकि उनके संबंध इंग्लैंड दौरे के दौरान बहुत सी महिलाओं के साथ थे.

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