कृश्नचंदर का जीवन परिचय | Krishna Chandra Biography in Hindi

कृश्नचंदर की जीवनी, जन्म, मृत्यु, प्रमुख रचनाएँ और साहित्य | Krishna Chandra Biography, Birth and Literature in Hindi

जिन कहानीकारों ने कहानी विधा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया, उनमें उर्दू कथाकार कृश्नचंदर का भी नाम है. वह एक भारतीय उर्दू , लघु कथाओं और उपन्यासों के हिंदी लेखक थे. उनकी कुछ रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया गया है. उन्होंने 20 से अधिक उपन्यास, लघु कथाओं के 30 संग्रह और उर्दू में रेडियो नाटकों की रचना की और बाद में 1947 में विभाजन के बाद, हिंदी में लिखना शुरू किया. उनका संघ से गहरा संबंध था, जिसका असर उनकी रचनाओं में स्पष्ट रूप से झलकता है. कृश्नचंदर ऐसे गिने-चुने लेखकों में आते हैं, जिन्होंने बाद में चलकर लेखन को ही अपनी रोजी-रोटी का सहारा बनाया. वे फ़िल्म जगत से भी जुड़ाव रखने वाले लेखक है.

उन्होंने व्यंग्य कहानियों के लेखक के रूप में अपनी अल्प आय को पूरा करने के लिए बॉलीवुड फिल्मों के लिए स्क्रीन-प्ले भी लिखे थे. कृश्नचंदर के उपन्यास एक गधे की आत्मकथा को 16 से अधिक भारत में बोली जाने वाली भाषाओं और अंग्रेजी और कुछ विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी किया है. कृश्नचंदर की लिखी हुई फिल्म धरती के लाल (1946) में बनाई गई थी. जिसके कारण उनको बॉलीवुड में पटकथा लेखक के रूप में पहचान मिली नियमित रूप से काम करने की पेशकश की, जिसमें ममता (1966) और शराफत (1970) जैसी लोकप्रिय हिट फ़िल्में शामिल हैं एवं वह अपनी फिल्मों की स्क्रिप्ट उर्दू में लिखा करते थे.

जीवनी (Biography)

कृश्नचंदर का जन्म 23 नवम्बर 1914 पंजाब के वजीराबाद गाँव (जिला-गुजरांकला) में हुआ था. उनके पिता एक डॉक्टर थे. उन्होंने अपना बचपन जम्मू और कश्मीर राज्य के पुंछ में बिताया, जहाँ उनके पिता पुंछ के चिकित्सक के रूप में काम करते थे. 1930 के दशक में, उन्होंने लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में प्रवेश लिया. 1934 में पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने अंग्रेजी में एम.ए. में डिग्री प्राप्त की और कॉलेज हाउस पत्रिका के अंग्रेजी अनुभाग का संपादन किया. उस समय अंग्रेजी लेखन में उनकी काफी रुचि थी.

उन्होंने फिल्म के लेखक के रूप में काफी काम किए. वर्ष 1932 में चंदर में उनकी पहली उर्दू लघु कहानी “साधु” प्रकाशित हुई और उस लघु कहानी ने उनके करियर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिसके बाद उन्होंने “उपन्यास, लघु कथाओं के संग्रह, नाटकों, कल्पनाओं, व्यंग्य, पैरोडी, रिपोतार्ज, फिल्म-स्क्रिप्ट और बच्चों के लिए साहित्य की 100 से अधिक पुस्तकें लिखी है. कृश्नचंदर की मृत्यु 8 मार्च 1977 को हुई थी और वे अपने अंतिम समय तक मुंबई में रहे थे.

रचनाएँ और लेखन की शैली

कृश्नचंदर शुरू में तो सिर्फ उर्दू में लिखा करते थे मगर भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद उन्होंने हिंदी में भी लिखना शुरू कर दिया. उनका एक और यादगार उपन्यास “गदर” है, जो 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बारे में है. उनका उपन्यास शिकस्त कश्मीर के विभाजन से संबंधित है एवं वह उपन्यास हर-एक युवा लड़के की बचपन की यादों के बारे में है, जो कश्मीर में अपने माता-पिता के साथ रहता था.

कृश्नचंदर ने उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज और लेख भी बहुत से लिखे हैं, लेकिन उनकी पहचान कहानीकार के रूप में अधिक हुई है. महालक्ष्मी का पुल, आईने के सामने आदि उनकी मशहूर कहानियाँ हैं. यह उनकी लोकप्रियता का कारण भी है कि वे काव्यात्मक रोमानिया शैली की विविधता के कारण अपना एक अलग मुकाम बनाते हैं. कृश्नचंदर उर्दू कथा-साहित्य में अनूठी रचनाशीलता के लिए मशहूर रहे हैं.

प्रमुख रचनाएँ : एक गिरजा-ए-खंदक, यूकेलिप्ट्स की डाली (कहानी-संग्रह); शिकस्त, जरगाँव की रानी, सड़क वापस जाती है, आसमान रौशन है, एक गधे की आत्मकथा, अन्नदाता, हम वहशी हैं, जब खेत जागे, बावन पत्ते एक वायलिन समंदर के किनारे, कागज की नाव. मेरी यादों के किनारे.
सम्मान: साहित्य अकादमी सहित बहुत से पुरस्कार.

उपन्यास : जामुन का पेड़, शिकस्त, जब खेत जगय, तूफान की कलिया न, दिल की वादियां तो गई,आसमान रोशन है, बावन पट्ट, एक गढ़े की, सरगुजश्त, एक औरत हजार दीवानाय, ग़द्दार, जब खेत जगे, सरक वपस जाति है, दादर पुल के नीचा, बर्फ़ के फूल, बोरबन क्लब, मेरी यादों के चिनार, गढ़े की वापसी, चंडी का घर, एक गढ़ा नेफा में, हांगकांग की हसीना, मिट्टी के सनम, जर गांव की रानी, एक आवाज समुंदर के किनारे, दर्द की नहर, लंदन के सात रंग, कागज की नाव, फ़िल्मी क़ैदा, पंच लोफर, पंच लोफर एक हीरोइन, गंगा बहे ना राती, दुसरी बर्फबारी से पहले, ग्वालियर का हज्जाम, बंबई की शाम, चंदा की चांदनी, एक करोर की बोतल, महारानी, प्यार एक खुशबू, मासीनों का शहर, CARNIVAL, आए अकेले हैं, चंबल की चानबेली, उसका बदन मेरा चमन, मुहब्बत भी क़यामत भी, सोने का संसार, सपनों की वादी, आधा रास्ता, होनोलूलू का राजकुमार, सपनों की रहगुजारें, फुटपाथ के फरिश्ते, आधे सफर की पूरी कहानी.

लघु कहानियाँ – तिलिस्म ई ख्याल, एक तवायफ का खातो, नज़रे, हवाई क़िला, घूंघट में गोरी जलाय, टूटे हुए तारय, जिंदगी के मोर पेरू, नागमय की मौत, पुराण खुदा, ऐन डेटा, तीन घुंडे, हम वही हैं, अजंता से अगाय, एक गिरजा एक खंडक़ी, समंदर दूर है, शिकस्त के बाद, नए गुलाम, मैं इंतजार करुंगा, मजाहिया अफसानय, एक रुपिया एक फूल, यूकेलिप्टस की डाली, हाइड्रोजन बम के बाद, नए अफसाने, काब का कफन, दिल किसी का दोस्त नहीं, मुस्कुराने वालियां, कृष्ण चंदर के अफसानाय, सपनों का कैदी, मिस नैनिताल, दसवां पुल, गुलशन गुलशन, धुंधा तुझको, आधे घंटे का खुदा, उल्झी लरकी काले बाल, कालू भंगी, फिल्मोग्राफी.

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