अस्थमा क्या है इसके कारण और बचाव के उपाय | Asthma Reason and Prevention in Hindi

अस्थमा क्या होता हैं इसके होने के कारण और बचाव के उपाय, सावधानियां | Whats is Asthma and its Reason, Prevention, Precautions Tips in Hindi

अस्थमा क्या होता है (What is Asthma)

अस्थमा (Asthma) यानि दमा फेफड़ों की बीमारी है, जिसके कारण लोगो को साँस लेने में कठिनाई आती है. अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपके वायु मार्ग सूज जाते हैं और सांस लेना मुश्किल हो जाती है. इसके अलावा ख़ासी, घरघराहट और सांस की तकलीफ़ होने लगती है. यदि हम इस पर ध्यान ना दे तो यह एक बड़ी समस्या हो सकती है.अस्थमा एक ऐसा रोग है जो अक्सर समय के साथ बदलता रहता है.

अस्थमा दो प्रकार का होता है- आंतरिक और बाहरी अस्थमा. जब कुछ रासायनिक तत्व हमारे शरीर में पहुँच जाते है जैसे कि सिगरेट का धुआँ आदि इनसे हमे आंतरिक अस्थमा होता है और बाहरी अस्थमा धूल, जानवर जैसे कारणों से होता है.

अस्थमा एक दीर्घकालिक समस्या है जो आपके फेफड़ों को कमजोर बना देती है और आपको साँस लेने में मुश्किल कर देती है. इस बीमारी से वायु मार्ग इतने संकरे हो जाते हैं कि हवा स्वतंत्र रूप से नहीं जा सकती. यह गंभीर घरघराहट और सांस फूलने का कारण बन सकता है, जिसे अस्थमा के हमलों के रूप में जाना जाता है. इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन ज्यादातर लोग अपने लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं, यदि आपको थोड़ा भी संदेह है कि आपको अस्थमा है, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर को बताना चाहिए और फेफड़ों का परीक्षण करवाना चाहिए.

अस्थमा के प्रकार (Type of Asthma)

  1. एलर्जिक अस्थमा
  2. गैर-एलर्जी अस्थमा
  3. वयस्क शुरुआत अस्थमा
  4. व्यायाम-प्रेरित अस्थमा
  5. व्यावसायिक अस्थमा
  6. नॉक्टेर्नल यानी नाइटटाइम
  7. अस्थमा मिमिक अस्थमा
  8. चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा

अस्थमा का कारण (Reasons of Asthma)

यह कोई नहीं जानता कि अस्थमा का कारण क्या है, अस्थमा परिवारों में चलता है और विरासत में मिला हो सकता है और पर्यावरणीय कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. वैज्ञानिक द्वारा पता लगाया जा रहा है कि अस्थमा का कारण क्या है, लेकिन हम जानते हैं कि ये कुछ कारक है जो अस्थमा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

जेनेटिक्स

अस्थमा परिवारों में चलता है,अस्थमा पैदा करने में जेनेटिक्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, यदि आपके माँ या पिताजी को अस्थमा है, तो आपको अस्थमा होने की भी संभावना अधिक है. तो यह परिवार के माध्यम से ही फैलता है.

एलर्जी

कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में एलर्जी विकसित करने की अधिक संभावना होती है, खासकर अगर उनके माता-पिता में से किसी एक को एलर्जी है. कुछ एलर्जी की स्थिति उन लोगों से जुड़ी होती है जिन्हें अस्थमा होता है.

श्वासप्रणाली में संक्रमण

जैसा कि हम जानते है कि फेफड़े बचपन में ही विकसित हो जाते है, तो यदि आपको बचपन में फेफड़े संबंधित क्षति हुई है तो यह आपको लंबे समय तक प्रभावित कर सकती है.

वातावरण

एलर्जी से मुख्यतः यह रोग फ़ैलता है. जैसे हम कही जा रहे है तो कार्यस्थल में कुछ रसायनों और धूल के संपर्क में आने से वयस्क-अस्थमा में भी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.

अस्थमा के लक्षण (Symptoms of Asthma)

  • पुरानी (नियमित) खांसी
  • सांसों की कमी
  • गले में घरघराहट
  • छाती में जकड़न की भावना
  • घबराहट घरघराहट के कारण नींद में परेशानी
  • सांस छोड़ते समय सीटी बजना
  • घरघराहट की आवाज आना
  • खांसी के साथ कफ न निकल पाना

 ऐसी कुछ जड़ी बूटिया जो अस्थमा के इलाज में बहुत सहायक है…….

  • वासा– श्वसन नलिया जो इस बीमारी में सिकुड़ जाती है तो यह औषधि इन नलियों को चौड़ा करने का काम करती है.
  • पुष्करमूल– यह एंटीहिस्टामिन की तरह काम करती है और एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर औषधि है.
  • कंटकारी– यह गले और फेफड़ों में जमे हुए चिपचिपे पदार्थों को साफ करने का काम करती है जिसे हम बलगम कहते है.
  • यष्टिमधु– यह भी गले को साफ करने की औषधि है.

आयुर्वेदिक घरेलु उपाय (Ayurvedic Home Remedies)

पीसा हुआ अदरक और काली मिर्च को बराबर मात्रा में मिलाए और एक एयरटाइट कंटेनर में रख ले अब इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ लें.

11 अमरूद के पत्ते, 11 काली मिर्च, 1 कप दूध और एक कप पानी लें, सभी को पतीले में डालें और इसे अच्छी तरह से उबाल लें, इसे इतना उबाले की यह आधा न हो जाए फिर इसे खाली पेट पीएं. इसे रोजाना कम से कम छह महीने या एक साल तक लें.

जीरे को पानी में उबालें और इस भाप को सांस में लें. यह ब्रोन्कियल मार्ग को पतला करने में मदद करता है.

5 ग्राम अदरक, काली मिर्च, इलायची, लौंग, दालचीनी, हल्दी और 30 ग्राम चीनी लें और मिक्सी की सहायता से पीस कर पाउडर बना लें.रोज एक चम्मच लें और इसे शहद के साथ अच्छी तरह मिला कर खाए. इसे दिन में दो बार लें.

शहद इसे पानी में मिलाकर पिए. यह हमेशा आपके अस्थमा को नियंत्रित करने में मदद करता है. संभवतः अस्थमा और सांस लेने में तकलीफ़ या सांस संबंधी समस्याओं के लिए सबसे पुराने प्राकृतिक उपचारों में से एक है, यह गले के कफ को साफ करता है जिससे आप बेहतर तरीके से सांस ले सकते हैं.

सरसों के बीजों का तेल अस्थमा के दौरान दबाव को कम करने और फेफड़ों तक जाने वाले मार्गों को खोलकर आपके फेफड़ों के कार्य को बेहतर बनाने में आपकी मदद कर सकता है. इसके लिए आप बस अपने सीने पर गर्म सरसों के बीज के तेल की मालिश करे जब तक की आप राहत महसूस नहीं करे

अपने दैनिक आहार में प्याज़ को शामिल करने से आपके अस्थमा में मदद मिल सकती है. लाल प्याज में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, और एंटी-वायरल गुण होते है. प्याज़ उत्सर्जन अंगों को उत्तेजित करता है और अस्थमा के लिए कारगर होता है इस वजह से इसे प्रकृति की बहुत ही एंटीबायोटिक दवाओ में गिना जाता है.

ध्यान रखने योग्य बातें

यदि आपको अस्थमा है तो आपको डाक्टर की सलाह जरुर लेना चाहिए क्योकि आपके लिए सही दवाएँ कई चीजों पर निर्भर करती हैं जैसे – आपकी उम्र, लक्षण, अस्थमा ट्रिगर आदि.आपके अस्थमा को नियंत्रण में रखने के लिए क्या सबसे अच्छा काम करता है यह आपको डॉक्टर की सलाह से ही पता चलेगा.

दीर्घकालिक नियंत्रण दवाएँ आपके वायुमार्ग में सूजन को कम करती हैं इसके अलावा त्वरित-राहत इन्हेलर्स (ब्रोन्कोडायलेटर्स) जल्दी से सूजन वाले वायु मार्ग को खोलते हैं जो श्वास को लेने में मदद करता है. कुछ मामलों में सिर्फ एलर्जी की दवाएँ ही काम आ जाती है.

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