युवा और नशीले पदार्थ पर अनुच्छेद लेखन | Article on Youth and Drugs in Hindi

युवा और नशीले पदार्थ पर अनुच्छेद | Article on Youth and Drugs | Yuva Aur Nashile Padarth Paragraph

लेखक जिन भी विषयों के बारे में अनुच्छेद लिखते है और उन विषयों का कारण किसी भी समस्या से जुडा रहता है, उस प्रकार के अनुच्छेद को समस्यात्मक अनुच्छेद कहते है. हमने आपके लिए जो अनुच्छेद का विषय चुना है “युवा और नशीले पदार्थ”, इस अनुच्छेद के कई अन्य विषय जैसे मादक पदार्थ और युवा पीढ़ी, मादक पदार्थों का सेवन सामाजिक कलंक हो सकते है. यह सभी विषयों के नाम अलग-अलग है मगर सभी की समस्या एक ही है.

समस्यात्मक अनुच्छेद

युवा और नशीले पदार्थ

संकेत बिन्दु – (1)मादक पदार्थ (2) नशा की प्रवृत्ति(3) दुष्परिणाम (4) निराकरण (बचाव).

किसी विद्वान ने सत्य ही कहा है- ‘मदिरापान सब बुराइयों की जड़ होती है’ मदिरा या मादक पदार्थ मनुष्य को असंतुलित बनाती है. मंदिरा अर्थात् शराब के अलावा अन्य मादक पदार्थ जैसे—चरस, गांजा, अफीम ये सभी व्यक्ति के विवेक को शून्य कर देते हैं.आरंभ में व्यक्ति शौकिया तौर पर कभी-कभी लेता है किन्तु बाद में वह इन चीजों का आदी हो जाता है.फलस्वरूप असंगत, अनर्गल, अशिष्ट, असभ्य व्यवहार करने लगता है. संस्कारिक व सामाजिक मर्यादा तोड़कर अनुचित व्यवहार करता है उसकी चेष्टाएँ अश्लीलता की ओर अग्रसर होती हैं. गाली-गलौच, मारपीट या फिर दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देता है.ऐसे में बसा-बसाया घर उजड़ जाता है, परिवार टूट जाते हैं, समाज में अपमानित होना पड़ता है. आधुनिक युवा पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करने में इन पदार्थों का सेवन करना शान समझते हैं.नशाखोरों (नशेड़ियों) की मानसिक, शारीरिक व आर्थिक स्थिति निरंतर गिरती जाती है. कभी तंगहाल होकर ये स्वयं किसी दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. इस नशा प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार और समाज दोनों को सक्रिय भागीदारी निभानी होगी. संचार के माध्यम सिनेमा, टी. वी., पत्र-पत्रिकाओं द्वारा जनता को जागरूक करना आवश्यक है. नशा मुक्ति केन्द्र की स्थापना कर नशेड़ियों को सुधारा जा सकता है. सरकार द्वारा कड़ा प्रतिबंध लगाकर इसके व्यवसाय को रोका जा सकता है.

अनुच्छेद लिखने की रीति

हम अगर इन बातों का ध्यान रखे तो हम अनुच्छेद को बिल्कुल सटीकता से लिख सकते है.

  • अनुच्छेद लिखते समय मात्राओं की गलती एवं कटा-पिटी ना हो इस बात को हमेशा याद रखे.
  • लिखते समय सरल भाषा का प्रयोग करे एवं ध्यान रखे की विषय के अनुकूल होनी चाहिए.
  • किसी भी विषय पर अगर हमें अनुच्छेद लिखना है, तो हमें उस विषय की जानकारी होना अति आवश्क है.
  • विषय को प्रस्तुत करने की शैली अथवा पद्धति तय होनी चाहिए.
  • मुहावरे और लोकोक्तियों आदि का प्रयोग करके भाषा को सुंदर एवं व्यावहारिक बनाने का प्रयास करे.
  • चुने हुए विषय पर लिखने से पहले चिन्तन-मनन करे ताकि मूल भाव भली-भाँति स्पष्ट हो सके.

Leave a Comment