महाभारत के चक्रव्यूह से जुडी रोचक बाते | Fact about Mahabharat Chakravyuh in Hindi

महाभारत के चक्रव्यूह और इसकी रचना से जुडी रोचक बाते | Story and Interesting Fact about Mahabharat Chakravyuh in Hindi | Mahabharat Chakravyuh Rachna

जब भी कभी महाभारत युद्ध की बात होती है तो महाभारत में प्रयोग किए गए चक्रव्यूह की बात अवश्य होती है. लेकिन इस बात का क्या प्रमाण है कि महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह का निर्माण किया गया था. महाभारत युद्ध की सबसे बड़ी रणनीति थी वह चक्रव्यूह जिसे भेदना लगभग नामुमकिन था. और इस चक्रव्यू के प्रमाण आज भी हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के राजनौण गांव में मौजूद है. पत्थर पर मौजूद चक्रव्यूह की रचना द्वापर काल के समय की मानी जाती है.

Fact about Mahabharat Chakravyuh in Hindi

इस गांव में रहने वाले लोग यह दावा करते हैं कि यह चक्रव्यूह की रचना महाभारत काल से ही यहां पर मौजूद है महाभारत काल में चक्रव्यूह युद्ध का सबसे प्रमुख शास्त्र था. चक्रव्यूह को बनाने और उसे भेदने का तरीका गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवों को गुरुकुल के दिनों में सिखाया था. परंतु अर्जुन को छोड़कर उस चक्रव्यू को बनाने और भेदने का तरीका किसी को भी समझ में नहीं आया था. इसीलिए चक्रव्यूह को भेदने का तरीका अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण ही जानते थे. महाभारत में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि चक्रव्यूह को भेदने का तरीका अर्जुन जब अपनी पत्नी सुभद्रा को बता रहे थे तब सुभद्रा के गर्भ में अभिमन्यु भी उनकी बातों को सुन रहे थे. इस तरह अभिमन्यु चक्रव्यूह को भेदने का तरीका सीख रहे थे. परंतु अर्जुन की बातों को सुनते सुनते सुभद्रा को नींद आ गई. इस तरह अभिमन्यु चक्रव्यूह के छः दरवाजे को भेदना तो सीख गए परंतु सातवें दरवाजे को किस प्रकार भेदना है, यह नहीं सीख पाएं.

वनवास के दौरान पांडव जब राजनौण गाँव में रुके थे. तब उन्हें ये बात परेशान कर रही थी कि युद्ध के दौरान गुरु द्रोण जो कोरवों के पक्ष से लड़ रहे थे. यदि उन्होंने चक्रव्यूह को उनके विरुद्ध इस्तेमाल किया तो क्या होगा. तब श्री कृष्ण ने यह सोचा कि पाँचों भाइयो को चक्रव्यूह भेदने का तरीका मालूम होना चाहिए. और तभी उन्होंने एक पत्थर पर चक्रव्यूह बनाया. अर्जुन के मार्गदर्शन में उन्होंने चक्रव्यूह भेदने का अभ्यास शुरू किया.

पत्थर के बने चक्रव्यूह पर पांडव पानी डालकर अभ्यास करते थे. पांडव प्रतिदिन अलग-अलग रास्तों से पानी डाल अभ्यास करते और पानी अलग-अलग रास्तों से बाहर जाता. इस प्रकार चक्रव्यूह भेदने पर विचार विमर्श किया जाता था.

युद्ध में अर्जुन के बिना कौरव अपनी रणनीति में सफल नहीं हो पाते इसलिए दुर्योधन के एक सेनापति ने अर्जुन से युद्ध करते हुए अर्जुन को युद्ध भूमि से बहुत दूर ले गया. इस दौरान चक्रव्यूह को भेदने की जिम्मेदारी अभिमन्यु पर आ गयी, क्योंकि कृष्ण और अर्जुन युद्ध भूमि से दूर जा चुके थे. अभिमन्यु बड़ी बहादुरी से पहले चक्रव्यूह को भेदते हुए आगे बढते गए. लेकिन छः दरवाजे भेदने के बाद अभिमन्यु सातवाँ दरवाज़ा नहीं भेद पायें और कोरवों ने उन पर हमला कर दिया. अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हो गए. कई सदिया बीत गयी परन्तु पत्थर पर इस चक्रव्यूह के निशान आज भी मौजूद हैं.

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