नोकिया का इतिहास और उसकी सफलता-असफलता की कहानी | History of Nokia Company in Hindi

मोबाइल इंडस्ट्री की सबसे बड़ी कंपनी नोकिया की अर्श से फर्श तक की कहानी | History of Nokia Company (Suceess, Failures, current Condition) in Hindi

आज बाजार में एक से बढ़कर एक स्मार्ट फ़ोन आ गए हैं. Samsung, OPPO और Vivo. MI ने एक तरफ कम कीमत के फ़ोन पर कब्जा कर रखा है, तो वही Apple जैसी कंपनी ने iPhone की मदद से ज्यादा कीमत वाले फ़ोन पर अपनी पकड़ बना रखी है लेकिन आपको पता है कि यदि आज से कुछ 12 साल पहले की बात की जाए तो लोगों के दिमाग मे फ़ोन के लिए एक ही कंपनी का नाम आता था. शायद आप समझ गए होंगे.

जिसने एक वक्त फ़ोन मार्केट के भारतीय बाजार पर 70 प्रतिशत कब्जा कर रखा था. हर किसी की पहली पसंद नोकिया होती थी. हम में से अधिकांश का कुछ भावनात्मक लगाव जरूर है नोकिया से क्योंकि अधिकतर लोगों के घर मे जो पहला फ़ोन आया था वो नोकिया का होता था. नोकिया 1100 और नोकिया 1110 ने तो पूरे भारत में बिक्री का रिकॉर्ड बना दिया था.

लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि लोगों की जुबां पर 25 साल तक छाई रहने वाली कंपनी अचानक बाजार से बाहर कैसे हो गई. आखिर क्या वजह है कि आज नोकिया के फ़ोन बाजार में नही दिखाई दे रहे है..?

तो चलिए आज बात करते है नोकिया के अब के सफर की.

क्र. म.बिंदु(Points)जानकारी (Information)
1.स्थापना(Founded)12 मई 1862
2.फाउंडर(Founders)फ्रेडरिक इदेस्ताम, लियो मैकलिन, एडूआर्ड पोलोन
3.हेडक्वार्टर (Headquarters)एस्पो, फ़िनलैंड
4.क्षेत्र(Field)मोबाइल निर्माता

नोकिया का इतिहास (Nokia Company History in Hindi)

नोकिया कॉर्पोरेशन की शुरुआत सन 1865 में फ़िनलैंड में हुई. कंपनी का कोई एक खास उद्योग नही था. कंपनी ने 153 साल के इतिहास में विभिन्न उद्योग किये. इसे लुगदी मिल के रूप में स्थापित किया गया था और लंबे समय से रबड़ और केबल्स से जुड़ा हुआ था, लेकिन 1990 के दशक से बड़े पैमाने पर दूरसंचार बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी विकास और लाइसेंसिंग पर केंद्रित किया. नोकिया मोबाइल, टेलीफोन उद्योग में प्रमुख योगदानकर्ता है.

History of Nokia Company in Hindi

नोकिया का सफ़र (Story of Nokia Telecom Sector)

कॉम्युनिकेशन, इलेक्ट्रिसिटी आदि में अपना उद्योग करने के बाद नोकिया ने टेलीकॉम की फील्ड में 90 के दशक में कदम रखा. टेलीकॉम क्षेत्र में क्रांति लाने का श्रेय नोकिया को जाता है, क्योंकि इसने लोगों को कुछ ऐसी सुविधाएं दी जो आम लोग सोच ही नही सकते थे.

उदाहरण के तौर पर नोकिया ने सबसे पहले एक मोबाइल बनाने वाली कंपनी “Mobira” ख़रीदी. कंपनी खरीदने के कुछ ही साल बाद सन 1982 में नोकिया ने पहला कार फोन “mobira senator” को लांच किया. इसे लोगों ने पसंद किया. इसका वजन करीब 10 किलो था.

इसके बाद नोकिया ने ज्यादा वक्त ना लगाते हुए सन 1984 में “mobira talkman” लांच किया जो कि पिछले वाले फोन से हल्का था. इसका वजन करीब 5 किलो था.

इसके बाद फिर ज्यादा वक्त नहीं लगाते हुए नोकिया ने mobira cityman के नाम से एक फोन और लॉन्च किया जो कि 1987 में लांच हुआ था. इसकी खास बात यह थी कि इस का वजन 800 ग्राम था, जो बहुत ही कम था. इस फोन को लोग कहीं भी ले जा सकते थे. इस फोन के साथ ही नोकिया का प्रभाव धीरे-धीरे पूरे यूरोप और अमेरिका में छाने लगा. वहां पर एक प्रमुख ब्रांड के रूप में पहचाना जाने लगा. इसके बाद नोकियाफोन की सीरीज जो कि 2100 के साथ शुरू होती थी. उसने तो पूरे बाजार में धूम मचा दिया और इसी के साथ नोकिया मोटोरोला कंपनी को पीछे छोड़ते हुए विश्व टेलीकॉम मार्केट में पहले स्थान पर आ गया.

धीरे-धीरे नोकिया का मार्केट बढ़ने लगा और सन 1997 से 98 तक नोकिया का मार्केट पूरे विश्व बाजार का करीब 25% था. मतलब पूरे विश्वभर में जितने भी फोन बिकते थे उसका 25% प्रोडक्शन नोकिया करता था. नोकिया ब्रांड की इस कदर छाप थी कि यदि टॉप 50 मॉडल में गिनती की जाए तो उसमें से टॉप 20 तो सिर्फ नोकिया के ही मॉडल्स होते थे. उसके बाद कई छोटे-छोटे मॉडल्स का नाम आता था.

सन 2003 के आसपास नोकिया ने 2 मॉडल नोकिया 1108 और नोकिया 1110 लांच किया इन मॉडल ने तो पूरे भारत के मार्केट में धूम मचा दिया. शायद आप भी नोकिया के इस फोन के ग्राहक जरूर रहे होंगे. इस फोन ने भारत के 70% मार्केट पर अपना अधिकार जमा लिया जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड था. इस फोन की मार्केटिंग के लिए जरा भी प्रचार नहीं करना पड़ता था, माउथ पब्लिसिटी के द्वारा इस फोन को बहुत ही प्रसिद्धि हासिल हुई. इस फोन की सबसे खास बात यह थी कि इसमें एक टॉर्च था जो कि अपने आप में इस तरीके का पहला फोन था.

नोकिया फोन की एक खासियत हमेशा से रही है कि इन्होंने क्वालिटी के साथ कभी कोई कंप्रोमाइज नहीं किया है. इन्होंने हमेशा अपने कस्टमर को एक बेहतरीन गुणवत्ता वाला फोन देने की कोशिश की है. इसी कड़ी में उन्होंने कैमरे से युक्त फोन को लॉन्च करना शुरू किया जिसमें इनका पहला कैमरा फोन नोकिया 7605 था. इसके बाद उन्होंने 2006 में एडवांस कैमरे के साथ नोकिया 93 और 2010 में नोकिया 18 लांच किया जो की कैमरे की क्वालिटी के लिए बहुत ही पसंद किया गया.

अर्श से फर्श पर (Failure of Nokia)

वक्त तेजी से बदल रहा था. दुनिया तेजी से हार्डवेयर से सॉफ्टवेयर की तरफ बढ़ रही थी, लेकिन नोकिया शायद इस बात का एहसास नहीं कर पाई या शायद एहसास करके भी इस बात को इतनी गंभीरता से नहीं लिया जो इसकी आज की स्थिति का मूल कारण बना. नोकिया अपने हार्डवेयर के लिए प्रसिद्ध था. लेकिन धीरे-धीरे दुनिया सॉफ्टवेयर की तरफ बढ़ रही थी और Google, Apple जैसे नए-नए प्लेटफार्म आ रहे थे जो मोबाइल, सॉफ्टवेयर के साथ लॉन्च कर रहे थे. वह भी नोकिया की कीमत पर लेकिन नोकिया से ज्यादा फीचर्स वाले फोन प्रोवाइड कर रहे थे.

इस तरह Google और एप्पल का प्रभाव धीरे-धीरे पूरे अमेरिका और यूरोप में फैलने लगा और नतीजा यह निकला कि 2009-10 के आस-पास अमेरिका के मार्केट में नोकिया को 30 प्रतिशत का घाटा झेलना पड़ा. इधर एशियन मार्केट की बात करें तो यहां पर चाइना में कई छोटी-छोटी कंपनियों ने अपने मोबाइल फोन लॉन्च किए, जिनमें फ्लिप फोन काफी प्रसिद्ध हुए. Samsung, मोटोरोला ने इंडिया और चाइना के मार्केट में इस तरीके के बहुत सारे फीचर फ़ोन लांच किए जो कि थोड़ी देर के लिए नोकिया के मार्केट के लिए बहुत ही नुकसानदेह साबित हुए, क्योंकि लोगों को ऐसा लगा कि यह कुछ नई चीज है और हमें ऐसा लेना चाहिए.

2011 की आते-आते लगभग पूरे विश्व में Android छा चुका था. हर जगह Android की धूम थी और एप्पल ने भी अपना एक मार्केट बना लिया था इस परिस्थिति में नोकिया ने सोचा कि एक ऑपरेटिंग सिस्टम(Symbian) बनाया जाए जिस पर वह खुद अपने मोबाइल फोन लॉन्च करेगा पर शायद यह नोकिया की बहुत बड़ी भूल थी. नोकिया बाजार को नहीं समझ पा रहा था क्योंकि Android ने हर ऐप डेवलपर को ऐसा प्लेटफॉर्म प्रोवाइड किया कि सारे ऐप डेवलपर Android के प्लेटफार्म पर ही एप्लीकेशन बना रहे थे. जिससे Android का इकोसिस्टम बहुत ही मजबूत हो गया और जो नई-नई कंपनियां थी जिन्होंने अपने नए फोन लांच किए Android OS को स्वीकार किया और अपने फोन को एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ सीधे लॉन्च कर दिया. उन्होंने नया OS बनाने की सिस्टम जरूरत नहीं समझी, पर नोकिया यहां पर गलती कर रहा था कि वह एक नया ऑपरेटिंग सिस्टम बना रहा था. पर आखिरकार इसने इस OS पर कुछ फ़ोन लॉन्च भी किए.

लेकिन नोकिया को इस गलती का आभास हुआ कि नया ऑपरेटिंग सिस्टम का मार्केट में जगह बनाना बहुत मुश्किल है और उन्होंने बाजार में उपलब्ध ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ ही अपना फोन लॉन्च करने का सोचा लेकिन यहां पर उन्होंने Android की बजाय Windows को चुना. विंडोज डेस्कटॉप, लैपटॉप के क्षेत्र में सम्राट है पर मोबाइल के क्षेत्र में विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का कोई खास प्रभाव नहीं है. लगभग पूरा मार्केट Android और एप्पल ने अधिग्रहण कर रखा है. लेकिन फिर भी नोकिया ने Windows के साथ अपना फ़ोन लांच किया..

नोकिया ने Lumia नाम का एक फोन लॉन्च किया जो कुछ दिनों तक तो चला लेकिन फिर बाद में यह मार्केट से गायब हो गया. इस घोषणा के बाद नोकिया के शेयर 14 प्रतिशत गिर गए, और उसका सिम्बियन OS का बाजार भी गिर गया था.

आखिरकार नोकिया को व्यापारिक घाटा बहुत ज्यादा हो रहा था, इस कारण नोकिया को माइक्रोसॉफ्ट ने 7 अरब डॉलर में खरीदा.

वर्तमान स्थिति (Current Condition of Nokia)

सन 2013 में माइक्रोसॉफ्ट ने एक भारतीय सत्या नडेला को CEO बनाया. उन्होंने कहा कि नोकिया को खरीदना माइक्रोसॉफ्ट की सबसे बड़ी भूल हैं. जब बाजार में पहले ही दो operating system हैं, तो वहाँ MS Windows का जगह बनाना बहुत मुश्किल है. इसी के साथ उन्होंने नोकिया को एक कंपनी HMD Global को बेच दिया.

HMD Global, सन 2016 में नोकिया के ही पूर्व कार्यकर्ताओ के द्वारा बनाई कंपनी है. इन्होंने 10 साल तक के लिये नोकिया के फ़ोन बनाने का अधिकार अपने पास ले लिया हैं. अब HMD ग्लोबल फॉक्सकॉन कंपनी से फ़ोन बनवाती हैं. मार्केटिंग HMD Global करती है, पर फ़ोन पर नाम नोकिया होगा. अब कुछ ही समय मे नोकिया के कुछ नए फ़ोन आने वाले है, जो एंड्राइड operating system पर आधारित है.

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