पोखरण परमाणु परिक्षण का इतिहास | Pokhran Nuclear Test History in Hindi

पोखरण परमाणु परिक्षण (1998) का इतिहास, कहानी और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां | Pokhran Nuclear Test History, Story and Facts in Hindi

देश की स्वतंत्रता के बाद से ही यह प्रयास किया जा रहा था कि भारत सैन्य दृष्टि से एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विकसित हो जाए. सैन्य क्षेत्र में कई देशों के परमाणु शक्ति संपन्न हो जाने के उपरांत भी भारत ने अनेक वर्षों तक निशस्त्रीकरण की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किया किंतु भारत के प्रति आक्रामक भाव रखने वाले दो पड़ोसी देशों (पाकिस्तान और चीन) के परमाणु परीक्षण को देखकर भारत ने भी इस दिशा में अपने प्रयास प्रारंभ कर दिए थे. देश के आत्मसम्मान, गौरव और वैभवशाली विरासत की रक्षा, देशवासियों की सुरक्षा का भाव जागृत करने तथा लगातार प्रगति की दिशा में अग्रसर रहने के उद्देश्य से किए गए इन प्रयासों के फलस्वरूप आज भारत विश्व की छठवीं परमाणु शक्ति बनकर एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरकर सामने आया था. विश्व में पहले से ही अमेरिका, रूस, चीन, इंग्लैंड तथा फ्रांस 5 संपन्न राष्ट्र थे.

परमाणु परीक्षण पर सरकार की नीति (Government Policy on Pokhran Nuclear Test)

वर्ष 1998 में केंद्र में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार बनी. चीन द्वारा वर्ष 1964 में परमाणु परीक्षण करने के बाद से ही भाजपा सरकार देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने की पक्षधर थी. इसी वर्ष राज्यसभा में प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई ने भी कहा था “परमाणु बम का जवाब परमाणु बम ही है उससे कम कुछ नहीं”.
अपनी विचारधारा के अनुरूप भाजपा ने केंद्र में सत्ता प्राप्त करते ही परमाणु परीक्षण का लक्ष्य निर्धारित किया तथा 18 अप्रैल 1998 को देश के दो वैज्ञानिकों श्री आर चिदंबरम और डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम को पोखरण में परमाणु परीक्षण करने की अनुमति प्रदान कर दी गई थी.

पोखरण परमाणु विस्फोट श्रृंखला (Pokhran Nuclear Test History)

11 मई 1998 को दोपहर तीन बजकर 45 मिनिट पर राजस्थान स्थित पोखरण का झुलसता हुआ रेगिस्तान लगातार तीन विस्फोटों से थर्रा उठा. इन विस्फोटों की क्षमता 55 किलो टन टी.एन.टी विस्फोट के बराबर थी. ऑपरेशन शक्ति के नाम से संपन्न भारत के इस परमाणु परीक्षण की सफलता के बाद देश के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गर्व से कहा था कि भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन गया है.

उन्होंने परमाणु ऊर्जा के अध्यक्ष श्री आर चिदंबरम तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान के प्रमुख डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को विशेष रूप से बधाई दी क्योंकि इन्हीं दोनों के अथक प्रयासों के फलस्वरूप ही यह ऐतिहासिक सफलता प्राप्त हुई थी.

11 मई 1998 को किए गए इस विस्फोट के विरोध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीव्र प्रतिक्रिया हुई तथा अनेक राष्ट्रों ने भारत पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की धमकियां दी. भारत ने इन धमकियों की उपेक्षा करते हुए दो दिन बाद ही 13 मई 1998 राजस्थान के पोखरण क्षेत्र में ही दो परमाणु विस्फोट और कर डालें. इन दो परीक्षणों के साथ ही भारत में भूमिगत परमाणु परीक्षणों की निर्धारित श्रृंखला पूर्ण कर ली.

इस प्रकार विश्वव्यापी विरोध एवं संभावित प्रतिबंधों का जोखिम उठाकर भी भारत में पोखरण में परमाणु परीक्षणों की श्रृंखला पूरी की तथा देश के परमाणु कार्यक्रम की दिशा में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की. प्रथम परमाणु परिक्षण के पूरे चौबीस वर्ष बाद भारत ने छठे परमाणु संपन्न देश का दर्जा प्राप्त किया.

पाक द्वारा परमाणु विस्फोट (Pakistan Nuclear Test)

भारत के परमाणु परीक्षण के लगभग दो सप्ताह बाद ही पाकिस्तान ने 28 मई तथा 30 मई 1998 को क्रमशः पाँच तथा एक परमाणु परीक्षण कर डालें.

परमाणु विस्फोट संबंधी अंतर्राष्ट्रीय एवं भारतीय प्रतिक्रिया (World Reaction on Pokhran Nuclear Test)

भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करते ही विश्व समुदाय ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विरोध प्रदर्शित किया. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत के इस कदम पर गहरा रोष प्रकट किया और भारत के विरुद्ध कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि भारत भविष्य में और परमाणु परीक्षण ना करें तथा बिना शर्त सी.टी.बी.टी. पर हस्ताक्षर करें. जर्मनी, जापान, हॉलेंड, नार्वे तथा डेनमार्क ने भी अपनी-अपनी वित्तीय सहायता बंद कर दी. कनाडा तथा ऑस्ट्रेलिया ने भी भविष्य में किसी प्रकार की सहायता करने से मना कर दिया. ऑस्ट्रेलिया, कनाडा तथा न्यूजीलैंड की सरकारों ने भारत से अपने राजदूत बुला लिए. इन सभी के विपरीत ब्रिटेन और फ्रांस ने भारत के विरुद्ध किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न करने का निर्णय लिया. इजरायल ने भारत के परमाणु परीक्षण की निंदा ना करके यह कहा कि सभी देश सी.टी.बी.टी. (परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि) पर हस्ताक्षर करेंगे.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना तथा निंदा के विपरीत भारतीय जनता ने परमाणु परीक्षण पर हर्ष व्यक्त किया तथा प्रत्येक राजनीतिक दल द्वारा भारत सरकार के इस प्रयास की सराहना हुई.

परमाणु परीक्षण बाद लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंध (USA Sanctions after Pokhran Nuclear Test)

अमेरिका द्वारा भारत के विरुद्ध ढाई अरब डॉलर के प्रतिबन्ध लगाए गए. इसी के साथ पुराने सौदों के तहत ख़रीदे गए उपकरणों की आपूर्ति की रोक तथा सैन्य साम्रगी की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई. शिक्षा तथा साझा प्रयोग की तकनीक के निर्यात के क्षेत्र में भी अनेक प्रतिबन्ध लगा दिए थे.

परमाणु विस्फोट संबंधी भारत सरकार का दृष्टिकोण

विश्व के विभिन्न देशों की प्रतिक्रियाओं एवं प्रतिबंधों से विचलित हुए बिना भारत में परमाणु परीक्षण की दिशा में किए गए प्रयास को पुर्णतः उपयुक्त एवं देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक घोषित किया. इस संदर्भ में प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विभिन्न देशों की सरकारों को पत्र लिखें तथा उनसे समर्थन प्राप्त करने के प्रयास किए. उनके अनुसार यह प्रशिक्षण शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया गया था.

भारत की सीमा से लगे हुए चीन पकिस्तान दोनों देश भारत के प्रति शत्रुभाव रखते हैं. इन देशो से स्वयं सुरक्षित रखने तथा किसी परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के दबाव में मुक्त रखने के लिए भारत का परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र होना आवश्यक हैं. भारतीय जनता को भय मुक्त करके सुरक्षित वातारण में देश की प्रगति करने तथा देश में आत्मसम्मान, आत्मविश्वास एवं आत्मगौरव का भाव जगाने की दृष्टी से यह एक उचित प्रयास था.

इसे भी पढ़े :

Leave a Comment