भगवती प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय | Bhagwati Prasad Mishra Biography In Hindi

Bhagwati Prasad Mishra Biography In Hindi | आज हम जिस व्यक्ति की बात कर रहे है वो हमारे भारतीय फिल्म जगत से जुड़े हुए व्यक्ति है जो कि अपने व्यक्तित्व से एवं अपने स्वभाव से शांत थे उन्होंने फिल्म जगत को पहली बोलती फिल्म दी थी जो कि उनकी खुद की भी पहली फिल्म थी. हम बात कर रहे हैं भगवती प्रसाद मिश्र की.

भगवती प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय (Bhagwati Prasad Mishra Biography In Hindi)

आप में से कुछ ही शायद उनके बारे में जानते होंगे. उन्होंने फिल्म “आलम आरा” में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

आलम आरा फिल्म भारत के फ़िल्मी इतिहास की पहली बोलती फिल्म थी जो कि निर्देशक बी.पी. मिश्र व अर्देशिर ईरानी के नेतृत्व में बनी थी.
इस फिल्म का निर्माण सन 1931 हुआ था. आलम आरा फिल्म उस समय की सबसे महँगी लागत से बनी फिल्म थी. जिसका बजट 39 करोड़ था.

इस फिल्म ने भारतीय संगीत की नीव रखी इस फिल्म ने बॉलीवुड इतिहास को अपना सर्वप्रथम गाना दिया जिसका नाम था ‘देदे खुदा के नाम पर”

जिसमे हारमोनियम और तबले की जुगलबंदी कर के इस गीत को पेश किया गया था. उस समय इस फिल्म को देखने के लिए लोगो में उत्साह इतना ज्यादा था कि उन लोगो की भीड़ सिनेमा घर पर सँभालने के लिए पुलिस की मदद लेना पड़ी थी क्योंकि ये पहली बोलती फिल्म थी.

तो दोस्तों आज हम बात करने जा रहे है इस भारतीय इतिहास की पहली बोलती फिल्म आलम आरा के सह निर्देशक बी.पी. मिश्र की जिनका पूरा नाम था भगवती प्रसाद मिश्र.

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भगवती प्रसाद मिश्र का जन्म और करियर (Bhagwati Prasad Mishra Birth and Career)

इनका जन्म सन 1896 में वाराणसी [तब बनारस ]उत्तर प्रदेश में हुआ था. इनका बचपन व पढाई दोनों ही बनारस में हुई. 20 साल की उम्र में सन 1916 में इन्होने फोटोग्राफी एवं चित्रकारी में पारंगत हासिल की जो कि इन्होने पेंटर हुसैन बक्श से सीखी 5 सालों तक इन्होने वहा काम किया.

सन 1921 में श्री भगवती प्रसाद मिश्र ने थिएटर संघ व्याकुल भारत नाटक मण्डली के साथ भी काम की जो की मेरठ में स्थित थी फिर उन्होंने 1921 में ही स्टार फिल्म में एक पोस्टर डिज़ाइनर की हैसियत से काम किया.

उसके बाद उन्होंने अपने हाथ फिल्म जगत में निर्देशक के तौर पर अजमाना शुरू किए.

उन्होंने अपना पहला निर्देशन रज़िया बेगम के साथ किया था जो कि सांप्रदायिक विवाद के चलते किया हैदराबाद में उनकी मुलाकात धीरेन गांगुली से हुई.

वहाँ पर ही उन्होने फिल्म निर्देशक अर्देशिर ईरानी से सन 1931 में की उसके बाद उन दोनों ने मिलकर भारत की पहली सावक यानि बोलती फिल्म बनाई. जिसका नाम था आलम आरा.

इस फिल्म का ज़िक्र हम आपसे पहले कुछ बातो में कर चुके है. वे अपने ज़माने के बहुत ही प्रमुख अभिनेता निर्देशक एवं निर्माता भी थे.

उन्होंने इसके बाद भारतीय स्वतंत्र कम्पनी के लिए प्रचार प्रसार किया.

उन्होंने अपनी मृत्यु तक शारदा एवं सागर स्टूडियो के लिए काम किया. सहकर्मी आर.एस. चौधरी जो कि इनके गुप्त निर्देशन हुए अक्सर साजिश के बजाए दृश्य को तनाव देने के लिए पहले मूक प्रस्तुतियों में उद्धृत होते हैं.

नहर सिंह के लिए आकर्षक डिजाइन सहित प्रेस किताबों के लिए कई कवर और चित्रण उन्होंने किए.

उनकी मृत्यु 19 जून 1952 को महाराष्ट्र की राजधानी बम्बई में हुई थी.

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