व्याकरण की परिभाषा और अंग | Defination and Parts of Hindi Vyakarana

हिंदी व्याकरण क्या हैं इसकी परिभाषा और प्रमुख अंग
What is Hindi Vyakaran (Grammar) and its Defination and Parts | Vyakarana Ki Pribhasha Aur Pramukh Ang

व्याकरण वह शास्त्र है जिसके द्वारा भाषा के शुद्ध स्वरुप या प्रयोग का ज्ञान होता है. व्याकरण भाषा को मानकता प्रदान करता है. आए दिन भाषा में होने वाले परिवर्तनों से बचाकर उसे स्थायी रूप प्रदान करता है. व्याकरण के नियमो का पालन करते हुए भी जीवंत भाषा सतत विकास कर सकती है. व्याकरण भाषा के नियम नहीं बनाता बल्कि सर्वप्रचलित भाषा रूप के आधार पर ही व्याकरण के नियम बनता है.  व्याकरण भाषा के परिवर्तनों को स्वीकार करता है.

व्याकरण का वह भाग जो शब्दों में बदलाव के साथ साथ उनके अर्थ को बदलने के लिए व्यवहार करता है, उदाहरण के लिए, क्रियाओं के लिए अंत जोड़ना या उनकी वर्तनी को बदलना अलग-अलग काल (चलना / चलना, दौड़ना / दौड़ना, जाना / जाना), संज्ञा में अक्षर जोड़ना या संख्या (लड़का / लड़के, पुरुष / पुरुष), और विषय या वस्तु के लिए अलग-अलग वर्तनी की वर्तनी को बदलने के लिए उनकी वर्तनी को बदलना.

भाषा व्यक्ति के जीवन की अमूल्य निधि है. इसका प्रयोग सभी अपनी सुविधानुसार करते है. जब आप इसका नित्य प्रयोग नहीं करते तो इसमें स्थिरता नहीं रहती. भाषा परिवर्तनशील है. व्यक्ति विशेष की विशेषता का प्रभाव भी इस पर पड़ता है. हम सभी जानते है की विकास का नाम ही परिवर्तन है. परिवर्तन कभी वृद्धि के रूप में होता है या कमी के रूप में. भाषा के इस बनते बिगड़ते स्वरुप को शुद्ध बनाए रखने के लिए कुछ नियम बनाये गए है इन्ही नियमो को व्याकरण की संज्ञा दी गई है.

व्याकरण की परिभाषा (Definition of Vyakarana)

“व्याकरण” शब्द का शाब्दिक अर्थ है- “विश्लेषण करना”. व्याकरण भाषा का विश्लेषण करके उसकी रचना को हमारे सामने स्पष्ट करता है.

अथवा

“व्याकरण वह शास्त्र है, जो हमे किसी भाषा के शुद्ध रूप को लिखने और बोलने के नियमो का ज्ञान करवाता है.”

व्याकरण के अंग (Parts of Hindi Vyakaran)

भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है. ध्वनि और उसकी लिपि प्रतिक दोनों के लिए हिंदी में वर्ण शब्द का प्रयोग होता है. ध्वनियाँ या वर्णों से शब्द तथा शब्दों से वाक्य बनता है.

भाषा के इन मुख्य तीन अंगो के आधार पर ही व्याकरण के तीन विभाग माने गए है-

  1.  वर्ण विचार- वर्ण विचार के अंतर्गत वर्ण, उसके भेद, आकार, उच्चारण, उनके संयोग या मेल के नियमो आदि पर विचार किया जाता है.
  2.  शब्द विचार- इस विभाग के अंतर्गत शब्द, उसके भेद, उत्पत्ति, रचना तथा रूपान्तर आदि के नियमों आदि पर विचार किया जाता है.
  3. वाक्य विचार- इसके अनतर्गत वाक्य से सम्बंधित उसके भेद, विश्लेषण, रचना, अवयव तथा शब्दों से वाक्य बनाने के नियमों की जानकारी दी जाती है.

हिंदी व्याकरण को समझने के लिए नीचे दी गई इन चीजों का ज्ञान होना ज़रुरी है. इसमें कई सारी चीजों को शामिल किया गया है-

क्रमांक

हिंदी व्याकरण

1.

संज्ञा

2.

सर्वनाम

3.

हिंदी वर्ण-माला

4.

मुहावरे

5.

क्रिया

6..

काल

7.

संधि

8.

समास

9.

पर्यायवाची

10.

विलोम

11.

वचन

12.

विशेषण

13.

कारक

14.

काल

15.

भाषा, लिपि

16.

अव्यय

17.

अनेकार्थी शब्द

18.

विराम चिह्न

19.

लोकोक्तियाँ

20.

क्रिया विशेषण

21.

निबंध

22.

भावार्थ

23.

सारांश

24.

हिन्दी साहित्य

25.

उच्चारण और वर्तनी

26.

वाक्य-शुद्धि

27.

शब्दों की अशुद्धियाँ

28.

भारतीय सामान्य ज्ञान

29.

छंद

30.

लेखन-कला

31.

धातु

32.

शब्दार्थ (शब्दों का अर्थ)

33.

अंतर-सूची

34.

विस्मयादिबोधक

35.

समुच्चयबोधक

36.

पल्लवन

37.

संक्षेपण

38.

अनुवाद

39.

तत्सम-तद्भव शब्द

40.

हिंदी गिनती

41.

उच्चारण और वर्तनी

42.

अनेकार्थी शब्द

43.

पाठ-बोधन

44.

प्रतिवेदन

45.

उपवाक्य

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6 thoughts on “व्याकरण की परिभाषा और अंग | Defination and Parts of Hindi Vyakarana”

  1. दिल से देसी डॉट कॉम मुझे आपका यह लेख बहुत ही अच्छा लगा इससे मुझे बहुत सहायता हुई मैं सभी से निवेदन करती हूं कि सभी आपकी इस लेख को पढ़ें और आपकी वेबसाइट पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी पाएं धन्यवाद

  2. आपकी जानकारी अच्छी लगी। इसके लिए आपको धन्यवाद देता हूँ।

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