केदारनाथ मंदिर की विस्तृत जानकारी | Kedarnath Temple History in Hindi

केदारनाथ मंदिर के इतिहास, कहानी और मंदिर से जुडी विस्तृत जानकारी | Kedarnath Temple History, Story, Puja Time and other details in Hindi

केदारनाथ मंदिर भारत के प्रमुख हिन्दू मंदिरों में से एक हैं. यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक हैं. इसके अलावा इसका महत्व चार धाम की यात्रा और पंच केदार में भी हैं. यह भगवान शिव का सबसे ऊँचाई पर स्थापित मंदिर हैं. यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की पर्वत श्रृंखला में स्थापित हैं और समुद्र तल से 3584 मीटर पर बना हुआ हैं.

विषम जलवायु परिस्थिति में होने के कारण केदारनाथ मंदिर साल में केवल 6 माह अप्रैल से नवम्बर के बीच खुला होता हैं. इस मंदिर का निर्माण गाण्डीवधारी अर्जुन के पड़पौत्र और पांडव वंश के वंशज जनमेजय ने कराया था. यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग का आकार अन्य सभी ज्योतिर्लिंग से अलग और बड़ा हैं. इस मंदिर का जीर्णोद्धार आदिदेव शंकराचार्य ने करवाया था.

केदारनाथ मंदिर की प्राकृतिक स्थिति (Kedarnath Temple Natural Conditions)

केदारनाथ का मंदिर हिमालय पर्वत श्रृंखला में मन्दाकिनी नदी के समीप बना हुआ हैं. यह मंदिर तीन पहाड़ियों भरतकुंड, खर्चकुंड और केदारनाथ पहाड़ी से घीरा हुआ हैं. केदारनाथ मंदिर न केवल तीन पहाड़ियों का बल्कि 5 नदियों का संगम स्थल भी हैं. यहाँ पर मं‍दाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी मिलती थी. जिसमे से केवल अलकनंदा और मन्दाकिनी का अस्तित्व बचा हैं. केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से 3584 मीटर पर हैं और नवम्बर से अप्रैल तक भारी बर्फबारी होने के कारण मंदिर के कपाट बंद करने पड़ते हैं.

केदारनाथ मंदिर का इतिहास (Kedarnath Temple History)

केदारनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना हैं. इस मंदिर का निर्माण कब हुआ था इसकी कोई ठोस जानकारी तो नहीं हैं लेकिन केदारनाथ मंदिर का पहला प्रमाण महाभारत के समय से मिलता हैं जब पांडवों ने महाभारत युद्ध के बाद इस मंदिर के निर्माण के लिए नींव रखी थी. जिसके बाद पांडव वंश के जन्मेजय ने यहाँ विशाल भव्य मंदिर का निर्माण कराया था.

राहुल सांकृत्यायन के अनुसार केदारनाथ मंदिर 12-13वीं शताब्दी का है. जबकि राजा भोज स्तुति के अनुसार यह मंदिर राजा भोज ने बनवाया था. जिनका शासनकाल सन 1076-99 के बीच था. वही एक मान्यता यह भी है कि मंदिर का जीर्णोद्धार 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था जो कि वर्तमान समय में भी उसी रूप में मौजूद हैं.

Kedarnath Temple History in Hindi

केदारनाथ मंदिर की कथा (Kedarnath Temple Story)

कथा 1: कथा पंचकेदार की

महाभारत युद्ध के बाद भगवान शिव सभी पांडवों से अत्यंत नाराज हो जाते हैं क्योंकि उन्होंने युद्ध में अपने सभी कौरव भाइयों की हत्या कर दी थी. श्रीकृष्ण के कहने पर सभी पांडव भगवान शिव को मनाने और आशीर्वाद लेने के लिए काशी के लिए रवाना होते हैं. लेकिन भगवान शिव पांडवों से इतने रुष्ठ रहते हैं कि वह उन्हें दर्शन देने को भी तैयार नहीं होते हैं. काशी में नहीं मिलने के बाद सभी पांडव हर स्थान पर भगवान शिव को ढूंढते हैं.

कोई भी पांडव भगवान शिव को ढूढ़ ना पाए इसलिए भगवान शिव केदार घाटी में बैल का रूप धारणकर मवेशियों के बीच छुप जाते हैं. दूसरी और थक-हारकर पांडव शिव को ढूंढने के लिए कैलाश पर्वत का रुख करते हैं. जब पांडव केदार घाटी से गुजर रहे होते हैं तब शिवजी गदाधारी भीम की नज़रों से छुप नहीं पाते हैं. जैसे ही भगवान शिव को लगता हैं कि भीम ने उन्हें देख लिया हैं और उनका राज अब ख़त्म हो गया हैं तो वह उस स्थान से गायब होने की कोशिश करते हैं. (धरती के अन्दर) लेकिन भीम उन्हें पुंछ से पकड़ लेता हैं. इस तरह शिवजी पूरी तरह विलुप्त नहीं हो पाते और पांडवों को माफ़ करने के लिए मजबूर होना पड़ता हैं.

भगवान शिव जब बैल रूप में धरती के अन्दर अंतर्ध्यान होते हैं और जो भाग भीम द्वारा जमीन के अन्दर जाने से रोक दिया जाता हैं वह स्थान पर भगवान केदारनाथ बैल की त्रिकोणात्मक पीठ के आकार में स्थापित हैं. कथा के अनुसार जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए, तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमाण्डू में प्रकट हुआ. अब वहां पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है. शिवजी की नाभि मदमदेश्वर में, भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए. इसी कारण इन पांच मंदिरों के समूह को पंचकेदार कहा जाता है. जिस स्थान से वह अंतध्र्यान होने की कोशिश करते हैं उस स्थान को गुप्तकाशी कहा जाता हैं.

कथा 2: नर-नारायण ऋषि की

केदारनाथ से जुडी दूसरी कहानी यह हैं कि केदार घाटी के दो पर्वत जिनका नाम नर और नारायण भी हैं वह भगवान शिव के परम भक्त थे. ब्रह्मा के पुत्र धर्म की पत्नी रुचि के माध्यम से श्रीहरि विष्णु ने नर और नारायण नाम के दो ऋषियों के रूप में अवतार लिया. विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है. भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर यहाँ सदेव वास करने का वर प्रदान किया था.

केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला (Kedarnath Temple Architecture)

मंदिर के पृष्ठभाग में शंकराचार्य जी की समाधि है. मंदिर की धूसर रंग की सीढ़ियों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है जिसे स्पष्ट पढ़ पाना मुश्किल हैं. इतिहासकारो के अनुसार आदि शंकराचार्य द्वारा मंदिर का निर्माण करवाए जाने से पहले भी यहाँ शैव लोग जाते रहे हैं. 1882 में लिखे गए इतिहासपत्रों के अनुसार अग्रभाग के साथ मंदिर में एक भव्य भवन था जिसके दोनों ओर पूजन मुद्रा में मूर्तियाँ हैं पीछे भूरे पत्थर से निर्मित एक टॉवर है इसके गर्भगृह की अटारी पर सोने का मुलम्मा चढ़ा है. केदारनाथ मंदिर के सामने दर्शर्नार्थियों के लिए रहने के लिए सुविधा हैं जबकि पण्डे और पुरोहित भवन के दक्षिणी ओर रहते हैं. मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के सदाशिव रूप में पूजी जाती है.

केदारनाथ मंदिर से जुड़ी मान्यताएं (Kedarnath Temple Manyata)

केदारनाथ मंदिर से जुडी हिन्दू धर्मं में कई सारी मान्यताएं हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन करे बिना बद्रीनाथ की यात्रा और दर्शन करता हैं उसकी सभी मनोकामना निष्फल हो जाती हैं. केदारनाथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बतलाया गया है.

केदारनाथ मंदिर की पूजा (Kedarnath Temple Puja)

यह देवों के देव महादेव के द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक हैं. सूर्योदय होने से पूर्व शिवलिंग को प्राकृतिक रूप से स्नान कराकर उस पर घी-लेपन किया जाता है तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर पूजा की जाती हैं. इस समय यात्री मंदिर में प्रवेश कर पूजा में सम्मिलित हो सकते हैं. संध्या समय शिवलिंग का श्रृंगार करके पूजा की जाती हैं. उन्हें विविध प्रकार के चित्ताकर्षक ढंग से सजाया जाता है. मंदिर में शिवलिंग को छूने की पाबंदी हैं भक्तगण दूर से केवल इसका दर्शन ही कर सकते हैं.

पूरे दिन में शिव की पूजाए मुख्य रूप से इस क्रम में होती हैं.

  1. प्रात:कालिक पूजा,
  2. महाभिषेक पूजा,
  3. अभिषेक,
  4. लघु रुद्राभिषेक,
  5. षोडशोपचार पूजन,
  6. अष्टोपचार पूजन,
  7. सम्पूर्ण आरती,
  8. पाण्डव पूजा,
  9. गणेश पूजा,
  10. श्री भैरव पूजा,
  11. पार्वती जी की पूजा,
  12. शिव सहस्त्रनाम

Kedarnath Temple History in Hindi

केदारनाथ मंदिर दर्शन का समय (Kedarnath Temple Timings)

सर्दियों के समय केदारघाटी बर्फ से ढँक जाती हैं इसीलिए केदारनाथ मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है. सामान्यत: मंदिर के कपाट खुलने का समय वैशाखी (13-14 अप्रैल) के बाद और बंद होने का समय छ: माह बाद नवम्बर माह की 15 तारीख के आस-पास होता हैं. सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर की मूर्तियों को उखीमठ रखा जाता है और छह माह तक उखीमठ में इनकी पूजा की जाती है.

अप्रैल से नवम्बर के दौरान केदारनाथ मंदिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 7:00 बजे खुलता है दोपहर एक से दो बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है.

शाम को 5 बजे के बाद पुनः दर्शनार्थियों के लिए कपाट खोले जाते हैं शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है. रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है.

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