भावार्थ किसे कहते हैं, उसकी परिभाषा और उदाहरण | Bhavarth Meaning With Example In Hindi

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How to Write Bhavarth ? Meaning with Example In Hindi

भावार्थ की परिभाषा | Meaning Of Bhavarth in Hindi

किसी उद्धरण (गद्यांश या पद्यांश) सम्मिलित केन्द्रीय भाव को संक्षिप्त एवं स्पष्ट रूप में प्रकट करने को भावार्थ कहते हैं. दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि भावार्थ अर्थ और व्याख्या के बीच की चीज है. किसी संहिता के आशय का स्पष्टीकरण को भी भावार्थ कहते हैं. 

भावार्थ लिखते समय निम्नांकित निम्नलिखित बातों पर हमें ध्यान देना चाहिए :

  • मूल अवतरण को कई बार ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए तथा विचारों को रेखांकित करना चाहिये.
  • जो व्यर्थ बाते या शब्द है उन्हें निष्कास कर देना चाहिए साथ ही व्यर्थ वर्णनों को भी निष्कासित कर देना चाहिए. 
  • रेखांकित वाक्यों और शब्दों को मिलाकर सार्थक वाक्य बना लेना चाहिए. रिक्त स्थानों को पूरा करने के लिए दूसरे शब्द भी लिये जा सकते हैं. 
  • व्याख्या की तरह विषय की निरंतर लम्बी-चौड़ी व्याख्या करने या प्रत्येक पंक्ति का निरंतर विस्तार करने की कोई आवश्यकता नहीं है. 
  • मूल अवतरण में दिये गये शब्दों का जैसा है वैसा ही प्रयोग अपेक्षित नहीं है.
  • भावार्थ में आलंकारिक शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए.
  • भावार्थ में भावों का पाद्य नहीं होना चाहिए. समूचे उद्धरण को पढ़ लेने के बाद सोचना चाहिए कि मूल के सभी महत्त्वपूर्ण और आवश्यक भाव आये है या नहीं.

अर्थात् इसका तात्पर्य यह है कि गद्यांश या पद्यांश में आये विचारों को संक्षेप में तथा सरल भाषा में लिख देने के प्रयास को हम भावार्थ कहते है. 

भावार्थ का उदाहरण | Bhavarth Example In Hindi

क्या बाज को चिड़ियों का शिकार करते हुए देखकर हंस को यह शोभा देगा कि वह मानसरोवर की आनंदमय शांति को छोड़कर चिड़ियों का शिकार करने लगे और वह शिकार बन जाये तो आप उसे बधाई देंगी?

हंस के पास उतनी तेज चोंच नहीं है, ना ही उतना आँखें होते हैं, ना उतने तेज पंख होते हैं, ना उतनी तेज रक्त की प्यास होती है. इन अस्त्रों का संचय करने में उसे सर्दियों लग जाएंगे फिर भी वह बाज बन सकेगा या नहीं इसमें कोई संदेह है, मगर बाज बने या न बने वह हंस न रहेगा वह हंस जो मोती चुगता है.

उपरोक्त पंक्तियों का भावार्थ यह है कि:- जिस प्रकार हंस बाज की तरह कभी भी शिकार करने वाला एवं निर्दय नहीं हो सकता क्योंकि दोनों की आकृति एवं प्रकृति में काफ़ी अंतर है अर्थात् उसी प्रकार नारी लाख चाहने पर भी पुरुष की तरह कठोर एवं क्रूर नहीं बन सकती क्योंकि दोनों की शारीरिक बनावट एवं मानसिक प्रक्रिया में काफ़ी अंतर है.

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