रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार | Rabindranath Tagore Quotes in Hindi

रबीन्द्रनाथ टैगोर के विश्व प्रसिद्ध अनमोल विचार | Rabindranath Tagore Quotes in Hindi | Rabindranath Tagore Ke Anmol Vichar

माँ भारती के शिखर-पुत्रों में से एक कवि कुलगुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर संवेदना, रचनात्मकता, नैतिकता और प्रगतिशीलता के ज्वलंत प्रेरक पुंज थे. वे राष्ट्रीय गान के रचनाकार और साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता भी थे. वह बंगाली कवि, ब्रह्म समाज के दार्शनिक, चित्रकार और संगीतकार थे. वह एक सांस्कृतिक समाज सुधारक भी थे. आज भी रविन्द्रनाथ टैगोर को उनके काव्य गीतों और साहित्य रचना के लिए जाना जाता है. उनके साहित्य आध्यात्मिक और मर्यादा पूर्ण रूप से अपने कार्यों को प्रस्तुत करते थे. वे अपने समय की उन महान शख्सियत में से है जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया.

1.

“प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है”. 

2.

जो अपना है वह मिलकर ही रहेगा. 

सच्चा प्रेम स्वतंत्रता देता है, अधिकार का दावा नहीं करता हैं. 

3.

जब हम विनम्रता में महान होते हैं,

तभी हम महानता के सबसे करीब होते हैं. 

4.

सिर्फ नदी किनारे खड़े होकर पानी देखने से आप नदी पार नहीं कर सकते. 

5.

मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ भोर होने पर दीपक बुझाना है. 

Rabindranath Tagore Suvichar in Hindi

वो मनुष्य जो दूसरों का अच्छा करने में बहुत ज्यादा व्यस्त रहता है,

वह स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाता हैं. 

6.

 जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता हैं.  

7.

 प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है. 

8.

बर्तन में रखा पानी चमकता है, समुद्र का पानी अस्पष्ट प्रतीत होता है. लघु सत्य स्पष्ट शब्दों से 

9.

बताया जा सकता है, पर महान सत्य मौन रहता हैं. 

10.

कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं.

11.

आयु सोचती है, जवानी करती है. 

12.

फूल की पंखुड़ियों को तोड़ कर आप उसकी सुंदरता को इकठ्ठा नहीं करते हैं. 

13.

आस्था वो पक्षी है, जो भोर के अँधेरे में भी उजाले को महसूस करती हैं. 

14.

 उच्चतम शिक्षा वो है, जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती, बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव भी लाती हैं. 

15.

“मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है. मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है. मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है.”

16.

मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती हैं. 

17.

जो कुछ हमारा है वो हम तक तभी पहुंचता है जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं. 

18.

जो आत्मा शरीर में रहती है, वही ईश्वर है और चेतना रूप से विवेक के द्वारा शरीर के सभी अंगो से काम करवाती हैं. लोग उस अन्तर्देव को भूल जाते हैं और दौड़-दौड़ कर तीर्थों में जाते हैं. उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन हैं. 

Rabindranath Tagore Thoughts in Hindi

19.

कला के मध्यम से व्यक्ति खुद को उजागर करता है अपनी वस्तुओं को नहीं. 

20.

जीवन हमें दिया गया है, हम इसे देकर कमाते हैं.

21.

धूल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती हैं. 

22.

तथ्य कई हैं पर सत्य एक हैं.

23.

कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी. 

24.

किसी बच्चे की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ हैं. 

25.

मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है. 

26.

केवल प्रेम ही वास्तविकता है, ये महज एक भावना नहीं है। यह एक परम सत्य है जो सृजन के ह्रदय में वास करता हैं. 

Rabindranath Tagore Quotes in Hindi

27.

तर्कों की झड़ी, तर्कों की धूलि और अन्धबुद्धि. ये सब आकुल व्याकुल होकर लौट जाती है, किन्तु विश्वास तो अपने अन्दर ही निवास करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं हैं. 

28.

जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़ियाँ को आश्रय देता है उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता हैं. 

29.

चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता हैं. 

30.

संगीत दो आत्माओं के बीच के अनंत को भरता हैं. 

31.

जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता हैं. 

32.

देश का जो आत्माभिमान, हमारी शक्ति को आगे बढ़ाता है, वह प्रशंसनीय है. पर जो आत्माभिमान हमें पीछे खींचता है, वह सिर्फ खूंटे से बांधता है, यह धिक्कारनीय हैं. 

33.

पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास सिर्फ पेड़ हैं. 

34.

मनुष्य जीवन महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती हैं. 

Rabindranath Tagore Slogan in Hindi

35.

 मुखर होना आसान है जब आप पूर्ण सत्य बोलने की प्रतीक्षा नहीं करते हैं. 

36.

सच्ची आध्यात्मिकता, जिसकी शिक्षा हमारे पवित्र ग्रंथों में दी हुई है, वह शक्ति है, जो अन्दर और बाहर के पारस्परिक शांतिपूर्ण संतुलन से निर्मित होती हैं. 

37.

हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम उसे प्रेम करते हैं. 

38.

हमेशा तर्क करने वाला दिमाग धार वाला वह चाकू है जो प्रयोग करने वाले के हाथ से ही खून निकाल देता हैं. 

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